बाँदा।मृतक की पत्नी पार्वती के मुताबिक,उसका पति अरुण चचेरी जेठानी मुन्नी पत्नी सजीवन को लेकर सूरत चला गया था।एक साल दोनों सूरत में रहे।हत्या से 4 दिन पहले ही पति जेठानी मुन्नी को लेकर गाँव लौटा था।इसी रंजिश के कारण चचेरा जेठ सजीवन अपने पति अरुण से बुराई मानता था।पार्वती के मुताबिक,पति जब चचेरी जेठानी को लेकर गांव लौटे तो उसी दिन से घर में भी विवाद होने लगा था।घर में बहुत कम रहते थे। इधर,जेठ भी किसी न किसी बहाने लड़ाई-झगड़ा करता रहता था।मौका पाते ही पति को मौत के घाट उतार दिया था।कोर्ट द्वारा लाठी से पीट-पीटकर हत्या करने के तीन दोषियों को आजीवन कारावास और 89 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।फैसला शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी अनु सक्सेना ने सुनाया।दोषियों पर 89 हजार का अर्थदंड भी लगाया।सजायावी वारंट बनाकर तीनों को मंडल कारागार भेजा गया।नरैनी के हजारी पुरवा बडेहा निवासी पार्वती ने 7 जनवरी 2009 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि पति अरुण,6 जनवरी 2009 को नरैनी से घर आ रहे थे।गांव निवासी सजीवन के घर के पास साइकिल से उतरकर रोड पर खड़े थे,तभी वहां पहले से घात लगाए सजीवन उर्फ राम सजीवन पुत्र हल्के,रामरूप पुत्र जग्गू,रजोल पुत्र झग्गू और मोहन लोध पुत्र भोला ने घेर लिया।पति पर लाठी से ताबड़तोड़ हमला कर दिया।पति के चिल्लाने की आवाज सुनकर पार्वती और उसका लड़का कृष्ण कुमार दौड़े तो आरोपित गाली-गलौज करते हुए भाग निकले। पति के सिर पर गंभीर चोट आई थी। सिर से अधिक खून निकलने के कारण मौत हो गई।मामले का आरोप पत्र चारों के खिलाफ न्यायालय में पेश हुआ।विशेष लोक अभियोजक विमल सिंह व डॉ. महेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि दौरान मुकदमा सजीवन उर्फ राम सजीवन की 6 जुलाई 2010 को मृत्यु हो गई।मुकदमे में 3 आरोपितों के खिलाफ चार्ज बना।अभियोजन की ओर से चार गवाह पेश किए गए। साक्ष्यों के अवलोकन और दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने अपने 27 पृष्ठीय फैसले मे तीनों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
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