मऊ।जिलाधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव उ०प्र० शासन के शासनादेश के परिपालन में प्रत्येक तहसील स्तर पर पराली (धान का पुआल / अन्य कृषि अपशिष्टों) के जलाये जाने के कारण होने वाले प्रदूषण को नियन्त्रित करने हेतु जनपद के प्रत्येक तहसील स्तर पर उड़न दस्ता गठित किए गये है। गठित उड़नदस्ते किसी भी स्थिति में धान की पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्ट न जलाये जाय, इस हेतु प्रत्येक तहसील एवं विकास खण्ड के समस्त लेखपाल एवं ग्राम प्रधान उस क्षेत्र में कहीं भी फसल अवशेष जलाये जाने की घटना होती है, तो सम्बन्धित लेखपाल एवं ग्राम प्रधान दूरभाष के माध्यम से सम्बन्धित तहसील स्तर पर गठित उड़नदस्ते को तत्काल इसकी सूचना देगें। पराली / कृषि अपशिष्ट जलाये जाने की घटना पाये जाने पर सम्बन्धित को दण्डित करने के सम्बन्ध में राजस्व के शासनादेश द्वारा क्षतिपूर्ति की वसूली एवं पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरुद्ध अर्थदण्ड लगाये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। ऐसी घटना होने पर उक्त शासनादेश के अनुसार अनिवार्य रूप से दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाय। तहसील स्तर पर गठित उड़नदस्ते का यह दायित्व होगा कि धान कटने के समय से लेकर रवी में गेहूं की बुवाई तक प्रतिदिन फसल अवशेष जलाने की घटनाओं एवं इसकी रोकथाम के लिए की गयी कार्यवाही की सतत् निगरानी एवं अनुश्रवण करते हुए प्रत्येक कार्य दिवस की सूचना अनिवार्य रूप से जनपद स्तर पर गठित सेल को देगें। प्रत्येक गांव के ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रीय लेखपाल किसी भी दशा में अपने से संबंधित क्षेत्र में पराली / कृषि अपशिष्ट न जलाने दिया जाय। कृषि अवशेष जलाने की घटना प्रकाश में आने पर सम्बन्धित लेखपाल जिम्मदार होगे।