नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर शीघ्र सुनवाई की उनकी गुहार ठुकराते हुए उनसे मंगलवार को फिर इसे ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान उठाने को कहा।मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ‘विशेष उल्लेख’ के लिए सूचीबद्ध मामलों में श्री नायडू का मामला शामिल नहीं होने के कारण उनकी याचिका पर शीध्र सुनवाई की गुहार पर गौर करने से इनकार कर किया।
पीठ ने याचिकाकर्ता नायडू का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें खारिज करते हुए उन्हें कल फिर से उनके समक्ष उल्लेख करने को कहा।श्री नायडू ने उच्च न्यायालय के 22 सितंबर के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जिसमें 09 दिसंबर 2021 को सीआईडी द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी और फिर बाद में इस मामले में उनके हिरासत के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। यह मामला राज्य में नायडू के मुख्यमंत्री रहते हुए कौशल विकास कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है, जिसमें राज्य के सीआईडी ने प्राथमिक ही दर्ज की थी। इस प्राथमिक की में करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया है।श्री नायडू ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राजनीतिक द्वेष कारण बदले की भावना से उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। विधानसभा में विपक्ष के नेता ने अपनी याचिका में कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश है। राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को सत्ता की दौड़ से बाहर करने के उद्देश्य से प्राथमिक की दर्ज कई और फिर इसमें उन्हें घसीटा जा रहा है।याचिका में दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता वर्तमान में विपक्ष के नेता, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 14 साल से अधिक समय तक राज्य की सेवा की है। ऐसे व्यक्ति को अवैध तरीके से पहले से दर्ज प्राथमिक नाम जोड़ कर जांच के लिए हिरासत में रखा गया है।याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक प्रतिशोध की हद 11 सितंबर 2023 को पुलिस हिरासत देने के लिए देर से दिए गए आवेदन से जाहिर होता है, जिसे सभी विरोधों को कुचलने के लिए लक्षित किया जा रहा है।याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप (हालांकि निराधार है) मुख्यमंत्री के रूप में उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में लिए गए निर्णयों से संबंधित है।