कावल,ज्ञानपुर। सावन का महीना अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है।सनातन धर्म के ज्योतिष शास्त्र में सावन के महीने का महत्व बताया गया है, क्योंकि इस महीने में देवों के देव महादेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस महीने में आने वाले सोमवार के दिन श्रद्धालु व्रत रखकर विधि-विधान से शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। वरिष्ठ कर्मकांडी पं. देवमणि मिश्र ने सावन के महीने के महत्व के बारे में हमारे प्रतिनिधि से बातचीत के दौरान बताया कि सावन के महीने के अंतिम सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से सोमवार की पूजा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि सावन के महीने का अंतिम सोमवार आज पड़ रहा है। आज सावन का अंतिम प्रदोष व्रत भी पड़ने से सोमवार के व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मन चाहे फल प्रदान करते हैं। बताया कि सावन के अंतिम सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद सुबह 7:30 बजे तक शिवलिंग पर जलाभिषेक फिर रुद्राभिषेक करना चाहिए। इसके बाद सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में भगवान शिव विधि-विधान से पूजा पाठ करने और शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। श्री मिश्र ने बताया कि सावन महीने के अंतिम सोमवार के शुभ मुहूर्त के दौरान विधि विधान से जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने के साथ-साथ शिव चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों पर भगवान भोलेनाथ विशेष कृपा बनाए रखते हैं और उनको सुख समृद्धि प्रदान करते हैं. वही जो कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती है उनको सुयोग्य वर प्राप्त होता है और महिलाओं को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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