चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज शाम छह बजकर चार मिनट पर होगी तथा इसका कोई स्थगन या कोई वैकल्पिक योजना नहीं है।आज पूरी दुनिया की नजर भारत की ओर है और देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ा है। इसरो प्रमुख चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर बेहद आशावान है। उन्होंने कहा कि दूसरे मिशन से सबक लेते हुए इस बार असफलता की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गयी है। वैज्ञानिकों की टीम ने बैकअप प्लान का भी बैकअप तैयार किया है।डॉ. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले इसरो का पूरा ध्यान अपने लैंडर मॉड्यूल (एलएम) को उतारने पर होगा। उन्होंने कहा,“हम किसी भी स्थगन या प्लान बी पर विचार नहीं कर रहे हैं।”उन्होंने कहा,“जैसा कि मूल योजना थी, बुधवार शाम को लैंडिंग की पुष्टि हो गई है।”डॉ. सोमनाथ उन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिनमें कहा गया था कि यदि लैंडर सिस्टम में कोई समस्या आती है तो लैंडिंग को 27 अगस्त तक के लिए टाल दिया जाएगा।मंगलवार को इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन तय समय पर है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है। इसरो के मुताबिक सिस्टम की नियमित जांच हो रही है और मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) ऊर्जा एवं उत्साह से भरा हुआ था।इसरो ने एक ट्वीट में कहा,“चंद्रयान-3 मिशन तय समय पर है। सिस्टम की नियमित जांच हो रही है। सुचारू संचालन जारी है। एमओएक्स ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ है!”इसरो के सूत्रों ने कहा,“चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर को 1.6 किमी प्रति सेकंड की गति के साथ लगभग 25 किमी की ऊंचाई से संचालित किया जाएगा।”इसरो वैज्ञानिकों का ध्यान उस गति को कम करने पर होगा क्योंकि इसमें चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल भी अपनी भूमिका निभाएगा।सॉफ्ट लैंडिंग के लिए संचालित लैंडिंग 1745-1750 बजे शुरू होगी और एलएम शाम 6.04 बजे उतरेगा जिसे ‘आतंक के 15 मिनट’ भी कहा गया है। कमांड अपलोड होने और टेलीमेट्री सिग्नल के विश्लेषण के दो घंटे बाद यह प्रक्रिया शुरु होगी।सॉफ्ट लैंडिंग एक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि इसमें जटिल मनूवरों की एक श्रृंखला शामिल होती है जिनेमें रफ और फाइन ब्रेकिंग शामिल होती है।लैंडिंग से पहले सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्रों का पता लगाने के लिए लैंडिंग साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडर क्षैतिज स्थिति में चंद्रमा की ओर बढ़ेगा और इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलुरु में एमओएक्स के वैज्ञानिक कमांड तैनात करेंगे। रफ ब्रेकिंग करीब 11 मिनट की होगी और बाकी फाइन ब्रेकिंग होगी।लैंडर की स्थिति को ऊर्ध्वाधर में बदल दिया जाएगा और उस स्थिति में यह चंद्रमा पर मंडराएगा, तस्वीरें लेगा तथा लैंडिंग क्षेत्र का सर्वेक्षण करेगा एवं सुरक्षित लैंडिंग स्थान के बारे में निर्णय लेगा।
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