फतेहपुर। जिले में लाइलाज बीमारी फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान गुरूवार से शुरू हुआ। जो कि 28 अगस्त तक चलेगा। अभियान की शुरूआत जिलाधिकारी श्रुति ने राजकीय बालिका इंटर कालेज में स्वयं दवा खाकर किया। अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाएंगे और अपने सामने ही एक वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे। गर्भवती व अति गंभीर बीमार को दवा का सेवन नहीं करना है। एक से दो वर्ष तक के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाएगी।
जिलाधिकारी ने जनपदवासियों से अपील किया कि वह खुद दवा का सेवन करें और आस-पास के लोगों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। स्वास्थ्य कर्मी के सामने ही दवा खानी है। दवा का सेवन सिर्फ फाइलेरिया मरीज को नहीं, बल्कि एक वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को करना है। पांच साल में पांच बार यानी साल में एक बार इस दवा का सेवन कर लेने से फाइलेरिया (हाथीपांव व हाइड्रोसील) से बचाव होगा। उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ दिलाई। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि जिले की करीब 29 लाख की आबादी को दवा का सेवन कराया जाएगा। दवा के निर्धारित डोज का सेवन आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्य कर्मी के सामने ही करना है। अगर टीम पहुंचने पर घर का कोई सदस्य उपस्थित नहीं है तो वह आशा कार्यकर्ता के घर जाकर उनके सामने ही दवा का सेवन करें। अभियान के संचालन के लिए 2375 टीम बनाई गई हैं। जिन पर नजर रखने के लिए 451 पर्यवेक्षकों को लगाया गया है। फाइलेरिया से बचाव की दवा शरीर में इसके परजीवियों को मारती है जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप कभी कभी सिर दर्द, शरीर दर्द, बुखार, उल्टी और बदन पर चकत्ते जैसे लक्षण सामने आते हैं। यह लक्षण स्वतः ठीक हो जाते हैं और जिनमें यह लक्षण आ रहे हैं उन्हें खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया से मुक्त हो रहे हैं। जरूरी समझने पर आशा कार्यकर्ता की मदद से रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की सेवाएं ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिले में हाथीपांव के 3097 और हाइड्रोसील के 1031 मरीज चिन्हित हैं। फाइलेरिया ग्रसित इन जैसे और भी मरीज न आएं इसी उद्देश्य से बड़ी आबादी को दवा का सेवन करवाना होगा, जिसमें सामुदायिक सहयोग अपेक्षित है। जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। मच्छरदानी के प्रयोग और आस-पास साफ सफाई रखने के साथ साथ साल में एक बार दवा के सेवन से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। यह बीमारी विश्व में दीर्घकालिक दिव्यांगता का दूसरा प्रमुख कारण है। एक बार हाथीपांव या हाइड्रोसील हो जाने पर उसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। दवा सेवन ही श्रेष्ठ उपाय है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि दवा सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करने में सीफार, पीसीआई, पॉथ, पिरामल संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है। इस अवसर पर एसीएमओ वीबीडी डॉ एमएस सहाबुद्दीन, राजकीय बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्या निधि अवस्थी, अरबन नोडल डॉ पीबी सिंह, पॉथ से रविराज, पीसीआई से किरन पांडेय, पिरामिल से धीरज, यूनीसेफ से नवीन, डब्लूएचओ से डॉ सागर, सहायक मलेरिया अधिकारी कीर्ति रंजन, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक राधेश्याम भारती, मलेरिया निरीक्षक आशीष त्रिपाठी, ईशान, मातृ स्वास्थ्य सलाहकार आलोक, एके द्विवेदी, पीयूष, निशा, आशा कोमल, माधवी आदि मौजूद रहे।