पार्थिव शिव लिंग निर्माण व पूजन का है विशेष महत्व- आचार्य रत्नेश

गोपीगंज, भदोहीlपुरुषोत्तम मास मे बाबा बड़े शिव धाम मंदिर परिसर में चल रहे शिव महात्म्य कथा मे शनिवार को आचार्य रत्नेश ने पार्थिव शिव लिंग का महात्म्य का चित्रण करते हुए पूजन की विस्तार से चर्चा कीl पुरुषोत्तम मास मे अनवरत चल रहे शिव महापुराण कथा में पार्थिव शिवलिंग के निर्माण से लेकर  पूजा करने की विधान नियम संयम आदि गुढ़ रहस्य को  बतायाl कहा कि श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व हैl कहा की प्राचीन काल घुष्मा नाम की महारानी जिन्हे कोई संतान सुख नही प्राप्त हुआ थाl जिससे महारानी चिंतित हो गई थी उन्होने महाराज को दूसरी शादी करने के लिए बार-बार आग्रह कियाlउनके आग्रह पर महाराज ने दूसरी शादी कर लीl दूसरी शादी हो जाने के बाद विधि का ऐसा विधान बना कि घुष्मा महारानी को भी संतान सुख मिल गया जिससे दूसरी महारानी जलने लगी और इसी जलन के कारण उसने घुस्मा के पुत्र की हत्या कर पास के ही तलाब में फेंक दियाl भगवान शिव की अनन्य भक्त घुस्मा  तालाब पर प्रत्येक दिन मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन करने के बाद उसी तालाब में विसर्जित कर देती थीl अपने बेटे के गायब होने के दूसरे दिन पुनः उसी तालाब के किनारे भगवान शिव के पूजन के लिए पहुची जहा  प्रत्येक दिन पार्थिव लिंग बनाकर पूजन करती थीlभगवान शिव की कृपा ऐसी हुई पूजन के उपरांत पार्थिव शिवलिंग तालाब मे प्रवाहित करते ही उनका जीता जागता बेटा ऐसे निकला जैसे वह पानी में खेल रहा होlभगवान भोलेनाथ घुष्मा की भक्ति से प्रसन्न होकर उसके नाम पर घुश्मेश्वर महादेव के नाम से ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात हुएl अगले दिन के लिए कथा विश्राम पर  पूर्व मुख्य विकास अधिकारी भानु प्रताप सिंह,संतोष अग्रहरी,घनश्याम जायसवाल, अंजू मोदनवाल, कैलाश अग्रहरि,ओम जी जायसवाल, दिलीप मोदनवाल, ननका पांडेय, दामोदर अग्रहरि श्वेता अग्रवाल,विनय अग्रहरि आदि ने आरती पूजन कीl