लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने विकासखंड मसौली के रसौली ग्राम पंचायत स्थित अमृत सरोवर पर पौधारोपण किया। इसके बाद ग्राम पंचायत अकबरपुर धनैठी के इन्हौलिया गांव में मुख्य सचिव ने कृषि विभाग की ओर से चलाए जा रहे एकीकृत कीट प्रबंधन तकनीक का स्थलीय निरीक्षण किया। इसके बाद विकासखंड हरख के दौलतपुर स्थित पद्मश्री किसान श्री रामसरन वर्मा के फार्म पर पहुंचकर उन्होंने कृषि तकनीक का जायजा लिया और प्रगतिशील किसानों से वार्ता की। इस अवसर पर उन्होंने निःशुल्क मिनीकिट (श्री अन्न) का वितरण तथा कृषि विस्तार प्रेरणास्थल का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि मा० मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में विगत वर्ष 30 करोड़ पौधारोपण किया गया। इस वर्ष 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वृक्षारोपण जन महाअभियान-2023 में पूरे प्रदेश में जनता की बढ़-चढ़कर सहभागिता देखी जा रही है। पूरा प्रदेश इसे उत्सव के रूप में मना रहा है।उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्ष में प्रदेश में 137 करोड़ वृक्ष लगाए गए हैं। भारत सरकार के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिसर्च में बताया गया है कि वन विभाग ने जो पौधे लगाए हैं, उनमें 93 प्रतिशत पेड़ सजीव हैं। बाकी जो पेड़ लगाए गए, उनमें 80 से 90 प्रतिशत का सर्वाइवल रेट रहा है। उत्तर प्रदेश में वृक्ष का जो कवर है वो 9.3 प्रतिशत के आसपास है। इसको अगले 5 वर्ष में 15 प्रतिशत तक ले जाना है।उन्होंने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन के कारण कहीं बहुत ज्यादा बारिश हो रही है, तो कहीं बिल्कुल पानी नहीं बरस रहा, कभी तेज हवाएं चलने लगती हैं, जिससे काफी सारे नुकसान हो रहे हैं। इससे लोगों के सर्वाइवल पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। इन सब चीजों को रोकना है तो हमें प्रकृति का संरक्षण करना ही होगा। वृक्षारोपण से वायु भी प्रदूषण से बचेगी और हमें आसपास एक बेहतर वातावरण मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ पेड़ लगाना ही नहीं, बल्कि पेड़ बचाना भी होना चाहिए। इसमें हर एक नागरिक का सहयोग अपेक्षित है। यह प्रकृति को बचाने के साथ ही खुद को बचाने का एक महायज्ञ है। इसमें सभी को औषधि, तुलसी, इमारती, फूलदार या फलदार पेड़ लगाने चाहिए। पेड़ अपने लिए लगाइए, परिवार के हर सदस्य के लिए लगाइए और पेड़ लगाने के बाद उसे बचाइए भी। उन्होंने किसान भाइयों से भी अपील करते हुए कहा कि हर खेत में मेड़ और उस पर पेड़ लगाने चाहिए। उत्तर प्रदेश में 35 वर्षों से टिम्बर इंडस्ट्री बंद थी, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक हटा ली और तब से करीब 650 से अधिक इंडस्ट्रीज लग चुकी हैं और बहुत बड़ी संख्या में इंडस्ट्रीज लग रही हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारे किसान भाइयों को मिलेगा। किसान खेत में पेड़ लगाएंगे और 5-6 साल में पेड़ तैयार होने के बाद उसे बेचेंगे। खेत की उपज के साथ उन्हें पेड़ से भी उपज मिलेगी। ये हमारे किसानों को समृद्ध करने का बहुत अच्छा साधन होगा। उन्होंने कहा कि खेतों में खाद के रूप में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग हो रहा हैं। फसलों में लगने वाले कीटों की रोकथाम के लिए कीटनाशी, रोगों की रोकथाम के लिए फफूंदीनाशी और खरपतवारों की रोकथाम के लिए खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। खाद्य पदार्थों के जरिए यह जहरीले रसायन मानव शरीर में पहुंच रहे हैं, जिसका दुष्प्रभाव मानव शरीर पर पड़ रहा है। फसलों में रसायनों का प्रयोग न करके जैविक खेती पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि पद्मश्री किसान रामसरन वर्मा का प्रक्षेत्र प्रशिक्षण केंद्र हैं, जहां आलू की खेती और टिशू कल्चर केला की खेती हो रही है, उन्नतिशील किसानों को प्रशिक्षण केंद्र जाकर सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनपद बाराबंकी में लगभग सभी तरह की आधुनिक खेती कृषकों द्वारा की जा रही है, लेकिन यह कुछ किसानों तक ही सीमित है। सामान्यतः 80 से 90 प्रतिशत कृषक पारंपरिक खेती ही कर रहे हैं, अब किसानों को आधुनिक खेती से जुड़ना चाहिए। इस अवसर पर जिलाधिकारी अविनाश कुमार, मुख्य विकास अधिकारी सुश्री एकता सिंह, दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्रामीण विकास संस्थान की निदेशक नीना शर्मा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण, कृषकगण व गणमान्य नागरिक आदि उपस्थित थे।
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