वाराणसी। कार्डियक अरेस्ट आने पर कार्डियोपल्मनरी रिससिटेशन (सीपीआर) विधि किसी की जान बचाने के लिए बेहद कारगर होती है। इस विधि के उपयोग का प्रशिक्षण न सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों को बल्कि आमजन को भी लेना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वह इसका इस्तेमाल कर किसी की जान बचाने में मददगार साबित हो सके।उत्तर प्रदेश के स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने उक्त विचार मंगलवार को सीएचसी शिवपुर में एएनएम को नियुक्तिपत्र के लिए आयोजित समारोह के बाद वहां सीपीआर विधि के प्रदर्शन को देखने के बाद व्यक्त किया। उन्होंने खुद भी सीपीआर विधि का प्रयोग किया और वहां मौजूद लोगों से अनुरोध किया कि वह भी इसे जल्द से जल्द सीख लें।समारोह में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने सीपीआर विधि का प्रदर्शन कर इससे मिलने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर या दम घुटने पर जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वह सांस न ले पा रहा हो और बेहोश हो जाए तो सीपीआर की मदद से उसकी जान बचाई जा जा सकती है। सीपीआर देने के दौरान दोनों हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाव डालना होता है। एक-एक दबाव के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इसके साथ ही 30 बार छाती पर दबाव के उपरांत दो बार मुंह से सांस भी दिया जाता है। यह प्रक्रिया लगातार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्डियक अरेस्ट का मतलब होता है अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना। यह किसी लंबी या पुरानी बीमारी का हिस्सा नहीं होता है, इसलिए इसको दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है। यह किसी को कभी भी किसी जगह हो सकता है। ऐसे समय में सीपीआर विधि से प्राथमिक उपचार कर उसकी जान बचायी जा सकती है।
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