रिश होने पर जब नदी में समा जा रहे बोल्डर-बोरियां, बाढ़ आने पर क्या होगा!

सिद्धार्थनगर।जिला चारों ओर से नदी, नालों से घिरा हुआ है। सबका उदगम स्थल नेपाल होने से बाढ़ के दिनों  में चारों तरफ खूब तबाही मचती है। गांवों की सुरक्षा के लिए बांध बने हैं लेकिन वह कितनी सुरक्षा ग्रामीणों को प्रदान कर सकेंगे बड़ा सवाल है। बांधों  के गैप, कटान रोकने के लिए बनाए ठोकरों के बोल्डर, मिट्टी, बालुओं की बोरियां जब बरसात में ही नदी में विलीन हो गईं तब बाढ़ आने पर क्या स्थिति बनेगी तटवर्ती क्षेत्र के ग्रामीण यह सोच कर दहशत में हैं।शोहरतगढ़ क्षेत्र के टीकर-करौता गांव के बीच बांध का गैप भरने के लिए लगाए गए बोल्डर घोरही नदी में पांच दिन पहले विलीन हो गए। इससे कटान का खतरा बढ़ गया है। तीन दिन पहले विधायक विनय वर्मा ने डीएम से इसकी शिकायत कर कहा कि उन्होंने बांध के हालात को लेकर पहले ही अवगत करा दिया था लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने सिंचाई विभाग को गैप भरने के लिए निर्देशित करने की मांग की है जिससे बाढ़ आने पर ग्रामीणों को मुसीबत न झेलनी पड़े। शोहरतगढ़ क्षेत्र के ही राप्ती नदी के तट पर बनगाई नानकार गांव के पास बांध में कटान रोकनेके लिए ईंट, बालू, मिट्टी की बोरी लगा कर ठोकर बनाया गया था। वह बारिश के पानी में नदी में विलीन हो गया। बांध बारिश के पानी से तो कट ही रहा है बाढ़ आने पर क्या हालात बनेंगे यह सोच कर ग्रामीण परेशान हैं। क्षेत्र के सुनील यादव, विक्रम आदि का कहना है कि 2021 में ठोकर बनाया गया था जिससे गांव की सुरक्षा हो। अब जबकि ठोकर के लिए लगी ईंट, मिट्टी, बालू की बोरियां राप्ती नदी में समा चुकी है तो बाढ़ आने पर कटान हुई तो  हालात और बदतर होंगे। सिर्फ एक गांव ही नहीं दर्जन भर बाढ़ की जद में आ जाएंगे।