सिद्धार्थनगर। तराई के आंगन में बुधवार देर शाम से आंधी की तरह चल रही तेज हवा ने मिश्रौलिया क्षेत्र में केले की खेती कर रहे किसानों के अरमानों को धराशाई कर दिया। हवा के झोकों से केले की फसलें खेतों में गिरकर बर्बाद हो गई हैं। तैयार केले की फसल खेतों में जमींदोज होने से किसानों का भारी नुकसान हुआ है। खेतों में बर्बाद हुए केले की फसल को देखकर किसानों के अरमान आंसूओं में बह रहे हैं।मिश्रौलिया क्षेत्र के टेऊवां ग्रांट, मोहम्मद नगर, केरवनिया, मिश्रौलिया खालसा, करौंदा खालसा, बेलवा, कुसम्ही, भरभर साथा, सेमरा, खैरा, बनकटा, सिहुनिया, धोबहा आदि गांवों में केले की खेती बड़े पैमाने पर होती है। केले की बम्पर उत्पाद को लेकर लोग इसे मिनी भुसावल भी कहते हैं। इस बार यहां केले की फसल ठीकठाक थी। इससे किसानों को संतोष हो रहा था कि पिछले वर्षों में प्राकृतिक आपदा से उत्पादन पर जो असर पड़ा था और सस्ते कीमत पर बेचने से जो नुकसान हुआ था, इस बार उसकी भरपाई हो जाएगी लेकिन बुधवार देर शाम से आंधी की तरह चल रही तेज हवा ने केला किसानों के इन सारे अरमानों पर पानी फेर दिया है। तेज हवा ने केले की फसलों को तहस नहस कर दिया है। लगभग 10 से 15 प्रतिशत फसल जमींदोंज हो गई है। जमाल अहमद, मैकाब अली, कमाल अहमद, इबरार चौधरी, नफीस अहमद आदि केला किसानों का कहना है कि आंधी की तरह चल रही तेज हवा ने उन्हें बर्बाद कर दिया है। इस बार केले की फसल ठीकठाक थी। उम्मीद था कि कुछ मुनाफा मिल जाएगा लेकिन तेज हवा ने जिस मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है, इसमें अब लगी पूंजी की भरपाई कर पाना भी आसान नहीं है। शकील अहमद, अफ़सर अहमद, राम जियावन, इंदर, अखिलेश मौर्य, हयात हुसैन, गोचरन यादव, महेंद्र यादव आदि किसानों ने प्रशासन से प्राकृतिक आपदा में केले की फसल की हुई क्षति का मुआवजा दिलाने की मांग की है।
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