लखनऊ।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय ‘‘नेहरू भवन’’ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने देश की जनता को निराश किया है और उन्हें अब विपक्ष से सवाल पूछने की बजाए जनता के सवालों का जवाब देते हुए पिछले नौ वर्षों की सरकार का हिसाब देना चाहिए।बताते चलें कि कांग्रेस पार्टी, मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर पूरे देश में केंद्र की भाजपा सरकार से ‘‘नौ साल – नौ सवाल’’ नाम से पत्रकार वार्ता कर रही है, प्रेस कॉन्फ्रेंस में दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के नौ साल पूरे होने पर कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री जी से नौ सवाल पूछ रही है, लेकिन मोदी सरकार सवालों के जवाब देने की बजाय ध्यान बांटने के लिए हर रोज नया विभाजनकारी एजेंडा लेकर आती है।दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पिछले नौ वर्षों के शासन काल में भाजपा सरकार ने देश को कई दशक पीछे कर दिया है। नौ साल पहले भाजपा जनता से जो बड़े-बड़े वादे करके सत्ता में आई, आज उन वादों पर कोई बात नहीं होती है। आज प्रधानमंत्री जी केवल प्रचार मंत्री और भाजपा नेता के चुनाव प्रचारक की भूमिका में नजर आते हैं। शायद वे भूल गए हैं कि उनका पहला दायित्व देश के 140 करोड़ लोगों के प्रति है, लेकिन उन्हें हर समय सत्ता ही दिखाई देती है, ऐसा लगता है कि मानो देशवासियों के दुखों से प्रधानमंत्री का कोई लेना देना नहीं है।दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार संसद में बहस करने की बजाय चर्चा से भागती है। राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए संवैधानिक संस्थाओं की अवमानना और महान परंपराओं व व्यवस्थाओं की अनदेखी की जा रही है। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को संसदीय परिसर का उद्घाटन करने के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से भी वंचित कर दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल देश की महिलाओं और जनजातीय लोगों का अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर भी हमला है।दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करते समय किसानों से किए गए समझौतों का लागू नहीं किया गया। पिछले नौ सालों में किसानों की आय दोगुनी होने की बजाय काम हो गयी है। आज भाजपा सरकार के कारण देश में महंगाई और बेरोजगारी आसमान छू रही है। अमीर और अमीर, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। देश पर कर्ज लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दिसंबर तिमाही में देश पर विदेशी कर्ज सितंबर तिमाही के मुकाबले 1.2 फीसदी बढ़कर 613 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। 2014 तक रुपये की गिरावट को देश की साख और सरकार की नीतियों से जोड़ने वाले प्रधानमंत्री आज रुपये में रिकॉर्ड गिरावट को लेकर मौन क्यों हैं? आज एक डॉलर 82 रुपये से ऊपर पहुंच गया है। जबकि वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार के समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 55-56 रुपये थी। रुपए में रिकॉर्ड गिरावट के कारण गिरते रुपये का सबसे बुरा असर महंगाई पर पड़ता है।
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