बहराइच। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के तत्वावधान में प्रतिवर्ष की भांति स्थानीय राम जानकी मंदिर हमजापुर में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती मनाई गई। साहित्य परिषद् की ओर से इस अवसर पर एक सरस काव्य गोष्ठी भी की गई। जिसका आयोजन परिषद् के प्रांतीय उपाध्यक्ष गुलाब चन्द्र जायसवाल द्वारा किया गया। गोष्ठी परिषद् के जिलाध्यक्ष शिव कुमार सिंह रैकवार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें डा राधेश्याम पांडेय मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि के के अवस्थी रहे। कवियों ने पितामह महाराणा प्रताप के पराक्रम के गीत गाये। ‘‘गिरा जहाँ तक खून वहां तक पत्त्थर पत्त्थर जिन्दा है, जिस्म नहीं है मगर नाम का अक्षर अक्षर जिन्दा है।‘‘ इन पक्तियों को हिन्दू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष धनंजय सिंह ने पढ़ीं। शिव कुमार सिंह रैकवार ने महाराणा प्रताप के शौर्य वर्णन में कहा, ‘‘दावानल सा चेतक हल्दीघाटी में लहराया था, शाही सेना को राणा ने नानी याद दिलाया था।‘‘ अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के जिला महामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी ने अपनी पुस्तक ‘अनुश्री’ से राम मंदिर का कुछ इस तरह वर्णन किया, ‘‘सनातन के ह्रदय में ज्ञान का आधार है मंदिर, हमारी सभ्यता का मूल पालनहार है मंदिर, मनोहर रम्य मंदिर श्रोत है आनंद का मंदिर, हमारे प्राण प्यारे राम के अवतार का मंदिर !‘‘ एम यल त्रिवेदी ने पढ़ा ‘‘पत्थर के संग रहना है तो पत्थर बनना सीखो।‘‘ गुलाब चंद्र जायसवाल ने पढ़ा, सत्कर्म और बलिदान देश हित सदा जो करते रहते हैं, शेखर, सुभाष, राणा प्रताप उनके रग-रग में रहते हैं।‘‘ पी के प्रचंड ने कहा ‘‘अपने वतन की शान को घटने नहीं देंगे।‘‘ शिव कुमार अग्रवाल, विनोद कुमार पांडेय, विमलेश जायसवाल, नूतन माहेश्वरी, प्राची श्रीवास्तव, बैजनाथ सिंह चैहान, बुद्धि सागर पांडेय, अयोध्या प्रसाद शर्मा, राम शंकर जायसवाल, आदि ने भी अपनी रचनऐं पढ़ीं।
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