मुंबई। संकट से जूझ रही एयरलाइन गो फर्स्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से अनुरोध किया कि उसकी स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका पर जल्द फैसला करे। इस बीच पट्टेदारों ने एयरलाइन के विमान का पंजीकरण रद्द करना शुरू कर दिया है। न्यायाधिकरण ने चार मई को गो फर्स्ट की याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता पी नागेश ने प्रांजल किशोर के साथ रामलिंगम सुधाकर की अध्यक्षता वाली प्रधानपीठ के समक्ष सुबह मामले का उल्लेख किया। उन्होंने न्यायाधिकरण से अनुरोध किया कि उसकी याचिका पर जल्द फैसला किया जाए, क्योंकि पट्टेदारों ने एयरलाइन के विमान का पंजीकरण रद्द करना शुरू कर दिया है। पीठ ने गो फर्स्ट के अनुरोध पर विचार करने की बात कही। पट्टेदारों ने 20 से अधिक विमानों का पंजीकरण रद्द करने की मांग की है। वाडिया समूह की फर्म ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान याचिका दायर करने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से संपर्क किया है। गो फर्स्ट पिछले 17 वर्षों से उड़ान भर रही है और 15 मई तक टिकटों की बिक्री को निलंबित कर दिया है।
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