नयी दिल्ली। भ्रामक दावों में शामिल खाद्य कंपनियों के खिलाफ एफएसएसएआई की कार्रवाई जारी है। इस मामले में खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने कहा कि वह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए झूठे या भ्रामक दावे करने में शामिल खाद्य व्यवसाय परिचालकों के खिलाफ कार्रवाई करना जारी रखे हुए है। मोंडेलेज इंडिया के स्वामित्व वाले स्वास्थ्य पेय ब्रांड- बॉर्नविटा में अधिक चीनी की मात्रा होने के आरोपों के बीच नियामक ने यह बात कही। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने विशेष रूप से बोर्नविटा मुद्दे का उल्लेख नहीं किया। लेकिन एक बयान में उसने कहा कि देश में खाद्य व्यवसाय परिचालकों (एफबीओ) द्वारा किए गए विभिन्न स्वास्थ्य दावों के बारे में सोशल मीडिया सहित विभिन्न मीडिया रिपोर्टों पर ध्यान दिया गया है। खाद्य नियामक ने कहा कि एफएसएसएआई, उचित व्यापार गतिविधियों और खाद्य उद्योग के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करते हुए सक्रिय रूप से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उन एफबीओ के खिलाफ कार्रवाई करके अपनी वैधानिक भूमिका निभा रहा है, जो खाद्य उत्पादों के बारे में किसी भी तरह के झूठे या भ्रामक दावे करने में शामिल हैं।यह बयान ‘सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर’ रेवंत हिमतसिंगका के बोर्नविटा में अधिक चीनी होने के आरोप के मद्देनजर आया है। हालांकि कंपनी ने इस सप्ताह की शुरुआत में इस दावे को खारिज कर दिया। कंपनी के कानूनी नोटिस के बाद आरोप लगाने वाले ने सोशल मीडिया से अपना वीडियो हटा लिया था। वीडियो के वायरल होने के बाद कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘बोर्नबिटा का बहिष्कार करो’ की बात उठने लगी थी। एफएसएसएआई ने कहा कि इसका काम देश में खाद्य उत्पादों के लिए विज्ञान आधारित मानक तय करना और उसे लागू करना है।खाद्य नियामक ने कहा कि उसने विज्ञापन पर नजर रखने को समिति का गठन किया। समिति ने पिछले छह महीनों में कई खाद्य उत्पादों पर विज्ञापनों और दावों की छानबीन की है और ऐसे 138 मामलों की सूचना दी है, जिसमें नियमों का पालन नहीं किया गया है और वे भ्रामक हैं। इनमें कई प्रमुख ब्रांड भी शामल हैं।
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