जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रज्जू भइया के आर्यभट्ट सभागार में वृहस्पतिवार को भारतीय कालगणना और वैज्ञानिक आधार विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण प्रमुख अभय जी ने कहा कि भारत देश पर कई विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण किया किन्तु भारत ने कभी पराजय स्वीकार नहीं की बल्कि वह संघर्ष करता रहा। भारत को फिर से विश्वगुरु के रूप में आने के लिए अपनी संस्कृति को मजबूती से अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि जो भी आक्रांता आए वे देश में तो रहे हमारी संस्कृति को खत्म करने के चक्कर में उसमें विलीन होते गए। उन्होंने इस संबंध में शक, कुषाण समेत कई धर्म के लोगों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय कालगणना को अगर देखा जाय तो वह सभी विदेशी कालगणनाओं की तुलना में सबसे अधिक परिशुद्ध और पुरातन है। उन्होने सभी सिक्षकों एवं विद्यार्थियों से सरकारी कार्यों को छोड़कर निजी जीवन में भारतीय कालगणना को अपनाने की अपील की। उनका मानना है कि पैमाना बदलकर देश की संस्कृति को पीछे किया गया लेकिन हमारी परंपराओं ने काल गणना को संरक्षित किया है। अध्यक्षता कर रहीं कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा काल गणना ब्रह्मांड में स्थित सूर्य, चंद्रमा के आधार पर की जाती है। इसी आधार पर भारतीय पंचांग का निर्माण होता है। दिन, महीने की गणना का आधार भारतीय कैलेंडर यानी हमारा पंचांग ही है। हम वास्तु की ओर फिर से लौट रहे है। उन्होंने कहा कि समाज इसी गणना से समुचित ढ़ंग से चल सकता है। उन्होंने हिंदी मास और भाष्कराचार्य के गणित के क्षेत्र में योगदान की भी विस्तार से चर्चा की। अतिथियों का स्वागत प्रज्ञा प्रवाह के विभाग संयोजक संतोष त्रिपाठी एवं विषय प्रवर्तन कार्यक्रम संयोजक एवं निदेशक वैदिक प्रबंध अध्ययन केंद्र प्रो. अविनाश पाथर्डीकर ने किया। संचालन प्रज्ञा प्रवाह के जिला संयोजक डॉ. कीर्ति सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय द्विवेदी ने किया। प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. बीडी शर्मा, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. रसिकेश, डॉ. नितेश जायसवाल, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अमित वत्स, डॉ. इंद्रेश कुमार, डॉ. शशिकांत त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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