बाकू। अजरबैजान और आर्मीनिया की सेना में मंगलवार को भीषण संघर्ष हुआ है, जिसमें 7 सैनिक मारे गए हैं। दोनों देशों के बीच पिछले कई दशक से क्षेत्रीय विवाद चल रहा है। साल 2020 में दोनों देशों के बीच नगर्नो-कराबाख को लेकर भीषण युद्ध हुआ था। इसके बाद रूस ने मध्यस्थता की और सीजफायर कराया था। हालांकि, दोनों देशों के बीच पिछले कुछ महीने में कई बार संघर्ष हो चुका है। रूस के यूक्रेन में फंसने के बाद अजरबैजान ने आर्मीनिया के कब्जे वाले कई इलाके पर कब्जा कर लिया है।आर्मीनिया और अजरबैजान दोनों ही सोवियत संघ के हिस्सा रह चुके हैं और अब तक दो युद्ध लड़ चुके हैं। नगर्नो कराबाख इलाका अजरबैजान का माना गया है, लेकिन इस इलाके में आर्मीनिया के लोग बहुतायत में रहते हैं। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करके दावा किया है कि आर्मीनिया की सेना ने सीमा पर अजरी सैनिकों पर भारी गोलाबारी की। उसने कहा कि इसके जवाब में अजरबैजान के सैनिकों ने भी गोलीबारी की। अजरबैजान ने कहा कि उसके 3 सैनिक मारे गए हैं।वहीं आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि 4 लोगों की मौत और 6 लोग घायल हो गए हैं। आर्मीनिया ने अजरबैजान पर आरोप लगाया है कि वह तनाव को भड़का रहा है। आर्मीनिया ने कहा कि अजरी सैनिकों से सबसे पहले गोलीबारी की। उसने कहा कि आर्मीनिया के सैनिक उस समय सीमा के पास इंजीनियरिंग का काम कर रहे थे। इससे पहले साल 2020 में रूस ने दोनों ही देशों के बीच शांति समझौता कराया था। रूस ने दोनों देशों के बीच शांतिरक्षक सैनिकों को भी तैनात किया है।आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव ने यूरोपीय संघ और अमेरिका की मध्यस्थता के बाद कई दौर की शांति वार्ता की है। आर्मिनियाई प्रधानमंत्री ने शांति प्रक्रिया में प्रगति की बात कही थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि मूलभूत समस्याएं बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि अजरबैजान क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, जो आर्मीनिया के लिए लक्ष्मण रेखा है।
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