लखनऊ।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की परम्परा सदैव से पर्यावरण हितैषी रही है। दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद हैं। अथर्ववेद का सूक्त ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ हमें इस धरती के प्रति अगाध निष्ठा को प्रदर्शित करने के संस्कारों के साथ जोड़ता है। इसका अर्थ है कि धरती हमारी माता है और हम सब उसकी संतान हैं। एक पुत्र का मां के प्रति क्या कर्तव्य है, यह बताने की आवश्यकता नहीं होती है। सम्पूर्ण जीव जगत में मां के प्रति प्रकृति प्रदत्त स्वभाव व संस्कार देखने को मिलता है, और यहीं से धरती माता के प्रति हमारे दायित्व निर्धारित होते हैं।मुख्यमंत्री जी आज यहां ‘नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव-2023’ के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। इसके पूर्व, उन्होंने तथा केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने दो दिवसीय ‘नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव-2023’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना, कार्बन न्यूट्रल इवेंट तथा उत्तर प्रदेश के विरासत वृक्षों पर आधारित पुस्तक के द्वितीय संस्करण का विमोचन किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य जलवायु परिवर्तन ज्ञान केन्द्र का बटन दबाकर शुभारम्भ भी किया। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए जनपद आगरा तथा गोरखपुर के प्रतिनिधियों, कृषि वानिकी के क्षेत्र में जनपद बाराबंकी के प्रगतिशील कृषक मनोज कुमार शुक्ला तथा बॉयोफ्यूल के रूप में चीनी उत्पादन के अपशिष्ट से एथेनॉल निर्माण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए श्री संजय आर० भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास को सम्मानित भी किया। उन्होंने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन कर अवलोकन किया।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वर्तमान की एक चुनौती है। असमय अतिवृष्टि तथा बाढ़ की समस्या जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की ओर हम सबका ध्यान आकर्षित करती है। अपने स्वार्थ के लिए मनुष्य ने पर्यावरण को अतिदोहित कर प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया है। उन दुष्प्रभावों के हम सब भुक्तभोगी बन रहे हैं। इसी चुनौती के बीच में रास्ता भी निकालना होगा। यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में भारत दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। दुनिया में जहां कहीं भी इन मुद्दों पर चर्चा हो रही है, भारत उसमें अहम भूमिका निभा रहा है।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की सर्वाधिक आबादी का राज्य है। देश के कुल क्षेत्रफल का जितना भूभाग उत्तर प्रदेश में है, उसकी तुलना में प्रदेश की आबादी बहुत ज्यादा है। इतनी अधिक आबादी प्रदेश में मनुष्यों के जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियों के कारण है। प्रदेश में उपजाऊ भूमि एवं पर्याप्त जलसंसाधन है। एक समय यहां पर्याप्त वन आच्छादन भी था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, वन कटते गये।वर्ष २०१७ में हमारी सरकार ने वन विभाग को व्यापक रूप से वृक्षारोपण के लक्ष्य के साथ वन महोत्सव के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए निर्देशित किया। पहले वर्ष ०५ करोड़ वृक्षारोपण के लक्ष्य को लेकर कार्यक्रम शुरू किया गया। अगले वर्ष यह लक्ष्य बढ़ाकर १० करोड़ वृक्षारोपण किया गया। विगत ०६ वर्षों में उत्तर प्रदेश में १३५ करोड़ वृक्षारोपण का कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है। इसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। विगत ०६ वर्षों में उत्तर प्रदेश का वनाच्छादन बढ़ा है। प्रदेश के आम नागरिक के मन में यह भाव उत्पन्न हुआ है कि वृक्ष को काटना नहीं है, बल्कि हमें उसकी सुरक्षा करनी है। इस वर्ष भी जुलाई के प्रथम सप्ताह में प्रदेश सरकार वन विभाग को नोडल विभाग बनाते हुए अन्य विभागों को सहयोग से एक ही दिन में ३५ करोड़ वृक्षारोपण के वृहद अभियान को आगे बढ़ाएगी। इसकी तैयारियां अभी से की जा रही हैं। नर्सरियां तैयार की जा रही हैं।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने जल संरक्षण के लिए अनेक अभियान देश में प्रारम्भ किए हैं। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रदेश में ०८ हजार से अधिक अमृत सरोवर बनाने का कार्य सम्पन्न हुआ है। लोगों ने बड़े उत्साह के साथ इस अभियान में हिस्सा लिया है। वन विभाग ने भी जल संरक्षण के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किये हैं। इसमें अमृत सरोवरों के निर्माण के साथ ही व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया है।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में १०० वर्ष से अधिक पुराने वृक्षों को विरासत वृक्ष के रूप में मान्यता देकर उन वृक्षों के संरक्षण के अभिनव प्रयास के रूप में एक बड़े अभियान को आगे बढ़ाया गया है। हमारे पूर्वज बहुत दूर-दृष्टा थे। वे अच्छे फलदार पौधे लगाते थे। उन्हें बड़ा होने में समय लगता था, लेकिन सैकड़ों वर्षों के बाद आज भी वे वृक्ष फल दे रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने जनपद गोरखपुर में श्रीगोरक्षनाथ मन्दिर परिसर में लगे आम के एक वृक्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि वह वृक्ष आज भी फल दे रहा है। वर्ष १९०७ में उस वृक्ष के नीचे बद्रीनाथ धाम के सिद्ध योगी श्री सुन्दरनाथ जी तथा गोरक्षपीठ के सिद्ध योगी योगिराज बाबा गम्भीरनाथ जी के मध्य संवाद हुआ था। वह वृक्ष आज भी उसका गह है। भारत की आध्यात्मिक चेतना और क्रान्ति के पवित्र संगठन भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानन्द जी ने वर्ष १९१२ में उसी आम के वृक्ष के नीचे योगिराज बाबा गम्भीरनाथ जी से दीक्षा ली थी। आज भी उस वृक्ष की जीवन्तता, भव्यता और दिव्यता देखने को मिलती है।
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