ब्रसेल्स। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच अमेरिका के नेतृत्व वाले संगठन नाटो का दायरा बढ़ गया है। फिनलैंड नाटो का औपचारिक सदस्य बनने जा रहा है। फिनलैंड का नाटो की सदस्यता लेना इसलिए भी अहम है क्योंकि वह रूस का पड़ोसी है और 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। फिनलैंड की एंट्री के साथ ही रूस से लगने वाली नाटो देशों की सीमा दोगुनी हो जाएगी। नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलनबर्ग ने कहा कि हम फिनलैंड का अपने 31वें सहयोगी के तौर पर स्वागत करेंगे। इससे फिनलैंड सुरक्षित होगा और हमारी ताकत भी बढ़ेगी। उन्होंने इस कदम को ऐतिहासिक करार दिया। फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्टो आज ब्रसेल्स जाएंगे और नाटो की सदस्यता को लेकर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि बीते साल यूक्रेन पर किए गए रूसी हमले के बाद से ही पड़ोसी देशों में डर का माहौल है। यूक्रेन नाटो का मेंबर नहीं है और इसी के चलते इन देशों ने खुलकर उसकी मदद नहीं की है। ऐसे में फिनलैंड और स्वीडन जैसे देशों ने नाटो की मेंबरशिप लेने का फैसला लिया है ताकि भविष्य में रूस हमला करता है तो उसे नाटो का सक्रिय सहयोग मिल सके। फिलहाल फिनलैंड को नाटो में लेने की सहमति बन गई है, लेकिन तुर्की के ऐतराज के चलते अब तक स्वीडन को लेकर फैसला नहीं हो सका है। बीते सप्ताह ही तुर्की की संसद ने प्रस्ताव पारित कर फिनलैंड को नाटो में लेने का रास्ता साफ कर दिया था, लेकिन स्वीडन को लेकर अभी फैसला लेना बाकी है। स्टोलनबर्ग ने कहा कि रूस ने यूक्रेन पर यह कहते हुए हमला किया था कि वह वादा करे कि नाटो में शामिल नहीं होगा। लेकिन उसके हमले का असर उलटा हुआ है। यूक्रेन ने अब तक वादा नहीं किया है और दूसरे पड़ोसी देशों ने भी नाटो का रुख कर लिया है। गौरतलब है कि रूस ने पड़ोसी देश बेलारूस की सीमाओं पर परमाणु हथियारों की तैनाती का ऐलान किया है। इसके चलते टेंशन और बढ़ गई है।
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