भ्रष्टाचार से लड़ने की पूर्ण राजनीतिक इच्छाशक्ति, सीबीआई हिचके नहीं : मोदी

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार को लोकतंत्र एवं न्याय का शत्रु तथा गरीबी एवं अपराध का मूल बताते हुए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को आज साफ निर्देश दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में पूर्ण राजनीतिक इच्छाशक्ति है और सीबीआई को अपने काम में जरा भी हिचकने या ढील देने की जरूरत नहीं है।श्री मोदी ने आज यहां विज्ञान भवन में सीबीआई के हीरक जयंती समाराेह को संबोधित करते हुए यह बात कही। समारोह में प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्मिक, प्रशिक्षण एवं जनशिकायत राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं कैबिनेट सचिव राजीव गौबा भी उपस्थित थे। इस मौके पर सीबीआई के मामलों से जुड़े उच्चतम न्यायालय का संग्रह भी जारी किया गया।
श्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि देश की प्रीमियम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के रूप में 60 वर्ष का सफर सीबीआई ने पूरा किया है। ये छह दशक निश्चित रूप से अनेक उपलब्धियों के रहे हैं। सीबीआई ने अपने काम से, अपने कौशल से सामान्यजन को एक विश्वास दिया है।उन्होंने कहा, “आज भी जब किसी को लगता है कि कोई केस असाध्य है तो आवाज उठती है कि मामला सीबीआई को दे देना चाहिए। लोग आंदोलन करते हैं कि केस उनसे लेकर सीबीआई को दे दो। यहां तक कि पंचातय स्तर पर भी कोई मामला आता है तो लोग कहते हैं कि इसे सीबीआई को दे देना चाहिए।”श्री मोदी ने कहा कि न्याय के, इंसाफ के एक ब्रांड के रूप में सीबीआई हर जुबान पर है। अपनी कार्यप्रणाली, कार्यकुशलता और क्षमताओं से सीबीआई ने लोगों में अपने प्रति गहरी आस्था का भाव जगाया है। सीबीआई सत्य, न्याय के ब्रांड के रूप में उभरी है। आम लोगों से इस हद तक आस्था और विश्वास जीतना कोई साधारण बात नहीं है।उन्होंने कहा कि पिछले छह दशक में सीबीआई ने बहुआयामी और बहुक्षेत्रीय जांच एजेंसी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है, आज सीबीआई का दायरा बहुत बड़ा हो चुका है। महानगर से लेकर जंगल तक सीबीआई को दौड़ना पड़ रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा, “मुख्य रूप से सीबीआई की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करने की है। भ्रष्टाचार कोई सामान्य अपराध नहीं होता। भ्रष्टाचार, गरीब से उसका हक छीनता है, अनेक अपराधों को जन्म देता है। भ्रष्टाचार, लोकतंत्र और न्याय के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा होता है।”उन्होंने कहा, “जहां भ्रष्टाचार होता है, वहां युवाओं को उचित अवसर नहीं मिलते। वहां सिर्फ एक विशेष ईकोसिस्टम ही फलता-फूलता है। भ्रष्टाचार प्रतिभा का सबसे बड़ा दुश्मन होता है और यहीं से भाई-भतीजावाद, परिवारवाद को बल मिलता है। जब भाई-भतीजावाद और परिवारवाद बढ़ता है, तो समाज का, राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता है। जब राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता है तो विकास प्रभावित होता है।”उन्होंने कहा कि साल 2014 के बाद हमारा पहला दायित्व, व्यवस्था में भरोसे को फिर कायम करने का रहा। इसलिए हमने काले धन को लेकर, बेनामी संपत्ति को लेकर मिशन मोड पर एक्शन शुरु किया। उन्होंने कहा, “आज हम इंटरनेट बैंकिंग की बात करते हैं, यूपीआई से रिकॉर्ड ट्रांजेक्शन की बात करते हैं। लेकिन हमने 2014 से पहले बैंकिंग वाला दौर भी देखा है। ये वह दौर था, जब दिल्ली में प्रभावशाली राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के फोन पर हजारों करोड़ रुपए के लोन मिला करते थे। जिसने हमारी अर्थव्यवस्था के आधार… हमारे बैंकिंग सिस्टम को बर्बाद कर दिया था। बीते वर्षों में हम बहुत मेहनत करके अपने बैकिंग सेक्टर को मुश्किलों से बाहर निकाल कर लाए हैं।”श्री मोदी ने कहा, “भ्रष्टाचारियों ने देश का खजाना लूटने का एक और तरीका बना रखा था जो दशकों से चला आ रहा था। ये था, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से लूट। आज जनधन, आधार, मोबाइल की ट्रिनिटी से हर लाभार्थी को उसका पूरा हक मिल रहा है।”उन्होंने कहा कि राष्ट्र में अविश्वास और नीतिगत पक्षाघात का समय था। लेकिन 2014 से, हमारा प्राथमिक लक्ष्य व्यवस्था में लोगों के विश्वास को बहाल करना, पोषण करना और मजबूत करना रहा है। हमने तत्कालीन काले धन के जमाखोरों के खिलाफ, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ, भ्रष्टाचार के मूल कारणों के खिलाफ एक्शन मोड में काम किया। हमने सिस्टम में अत्यधिक पारदर्शिता सुनिश्चित की, और 2जी और 5जी स्पेक्ट्रम के आवंटन की प्रक्रिया इस बात का बहुत प्रमाण है।प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामले वर्षों तक खिंचते चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें एफआईआर होने के 10 साल बाद भी, सजा की धाराओं पर चर्चा चलती रहती है। आज भी जिन मामलों पर एक्शन हो रहे हैं, वो कई-कई साल पुराने हैं। उन्होंने कहा कि जांच में देरी दो तरीके से समस्या को जन्म देती है। एक तरफ, भ्रष्टाचारी को सजा देर से मिलती है, तो दूसरी तरफ निर्दोष परेशान होता रहता है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि कैसे हम इस प्रक्रिया को तेज बनाएं और भ्रष्टाचार में दोषी को सजा मिलने का रास्ता साफ हो पाए। हमें सर्वश्रेष्ठ तरीकों का अध्ययन करना होगा। जांच अधिकारियों की क्षमता निर्माण पर फोकस करना होगा।प्रधानमंत्री ने कहा, “आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति में कोई कमी नहीं है। आपको कहीं भी हिचकने, कहीं रूकने की जरूरत नहीं है। मैं जानता हूं कि जिनके खिलाफ आप कार्रवाई कर रहे हैं, वो बहुत ताकतवर लोग हैं। बरसों-बरस तक वो सरकार का, शासन तंत्र का हिस्सा रहे हैं। संभव है कई जगह, किसी राज्य में आज भी वे सत्ता का हिस्सा हों। बरसों-बरस तक उन्होंने भी एक ईकोसिस्टम बनाया है। ये ईकोसिस्टम अक्सर उनके काले कारनामों को कवर देने के लिए, आप जैसी संस्थाओं की छवि बिगाड़ने के लिए, सक्रिय हो जाता है। एजेंसी पर ही हमला बोलता है।”उन्होंने कहा, “ये लोग आपका ध्यान भटकाते रहेंगे, लेकिन आपको अपने काम पर फोकस रखना है। कोई भी भ्रष्टाचारी बचना नहीं चाहिए। हमारी कोशिशों में कोई भी ढील नहीं आनी चाहिए। ये देश की इच्छा है, ये देशवासियों की इच्छा है। और मैं आपको भरोसा दिलाता हूं देश आपके साथ देश है, कानून आपके साथ है, देश का संविधान आपके साथ है।”
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है, अड़चने पैदा करने वाले भी बढ़ रहे हैं। भारत के सामाजिक ताने-बाने पर, हमारी एकता और भाई-चारे पर, हमारे आर्थिक हितों पर और हमारे संस्थानों पर भी नित्य प्रहार बढ़ते चले जा रहे हैं और इसमें जाहिर तौर पर भ्रष्टाचार का पैसा लगता है। इसलिए हमें अपराध और भ्रष्टाचार के बहुपक्षीय स्वभाव को समझना होगा और उसके मूल कारण तक पहुंचना होगा।प्रधानमंत्री ने कहा, “सामान्‍य नागरिक न बुरा करना चाहता है न बुरा उसको पसंद है। हम उसके भरोसे आगे बढ़ना चाहते हैं जिसके दिल में सच्‍चाई जिंदा है। और वो संख्‍या कोटि-कोटि जनों की है, कोटि-कोटि जनों की है। इतना बड़ा सामर्थ्‍य हमारे साथ खड़ा है। हमारे विश्‍वास में कहीं कमी की गुंजाइश नहीं है।”
उन्होंने कहा कि यह सच है कि आधुनिक तकनीकों के कारण आज अपराध वैश्विक होते जा रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि ये प्रौद्योगिकियां ही इन मुद्दों का समाधान दे सकती हैं। हमें जांच में फोरेंसिक विज्ञान के उपयोग को और तेज करने की जरूरत है। हमें साइबर अपराधों से निपटने के लिए नवोन्मेषी तरीके खोजने होंगे। तकनीक-सक्षम उद्यमियों और युवाओं की इसमें बड़ी भूमिका है।श्री मोदी ने कहा, “इस हीरक महोत्‍सव के महत्‍वपूर्ण अवसर पर आप अपने लिए 15 साल में क्‍या करेंगे, और अपने माध्‍यम से 2047 तक क्‍या हासिल करेंगे, ये दो लक्ष्‍य तय करके आगे बढ़ना चाहिए। 15 साल इसलिए कि जब आप 75 के होंगे तब आप कितने सामर्थ्‍यवान, समर्पित, संकल्‍पवान होंगे, और जब देश 2047 में शताब्‍दी मनाता होगा, तब इस देश की आशा-अपेक्षाओं के अनुरूप आप किस ऊंचाई पर पहुंचे होंगे, वो दिन देश देखना चाहता है।”