जकार्ता। इंडोनेशिया का माउंट मेरापी ज्वालामुखी शनिवार को गैस के बादलों और लावा के हिमस्खलन के साथ फट गया। इसके बाद आसपास के 8 गांव राख की बारिश पूरी तरह से राख से ढक गए। इसके बाद अधिकारियों को देश के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी के ढलानों पर पर्यटन और खनन गतिविधियों को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा। फिलहाल इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है।मेरापी, जावा के घनी आबादी वाले द्वीप पर गर्म राख के बादलों और चट्टान, लावा और गैस का मिश्रण फैल चुका है। ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद निकलता धुंआ और राख की ऊंचाई 7 किलोमीटर तक पहुंच गई थी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहरी ने कहा कि गर्म बादलों का एक स्तंभ हवा में 100 मीटर (गज) ऊपर उठ गया।पूरे दिन हुए विस्फोट के कारण पूरा इलाका सूरज की रोशनी से वंचित रहा। गिरने वाली राख ने कई गांवों को अपनी चपेट में ले लिया। ज्वालामुखी और भूवैज्ञानिक खतरा शमन केंद्र की प्रमुख हानिक हुमैदा ने कहा कि नवंबर 2020 में अधिकारियों द्वारा अलर्ट स्तर को दूसरे उच्चतम स्तर तक बढ़ाने के बाद से यह मेरापी का सबसे बड़ा लावा प्रवाह था।हुमैदा ने कहा कि मेरापी की ढलानों पर रहने वाले निवासियों को क्रेटर के मुहाने से 7 किलोमीटर (4.3 मील) दूर रहने और लावा से उत्पन्न खतरे से अवगत रहने की सलाह दी गई थी। इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी योग्याकार्ता के पास मौजूद जावा द्वीप के इस ज्वालामुखी की ऊंचाई 9737 फीट है। यह संस्कृति का एक प्राचीन केंद्र है और यहां शाही राजवंशों की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लगभग सवा लाख लोग ज्वालामुखी के 10 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं। विस्फोट के बाद ज्वालामुखी से निकली राख की 9600 फीट ऊपर तक गई। साल 2010 के इसके अंतिम बड़े विस्फोट में 347 लोग मारे गए थे और 20,000 ग्रामीण विस्थापित हुए थे। माउंट मेरापी ज्वालामुखी में 1548 से अब तक लगातार समय-समय पर विस्फोट होता आ रहा है। साल 2006 के बाद से यह ज्वालामुखी ज्यादा सक्रिय हो गया है। मालूम हो कि अप्रैल 2006 में हुए विस्फोट की वजह से आसपास के इलाकों में 156 बार भूकंप महसूस हुआ था।
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