ऊहापोह की स्थिति: कहीं सुबह तो कहीं शाम को हुआ होलिका दहन

बांदा। भद्राकाल के चलते होलिका दहन को लेकर भ्रम की स्थिति बरकरार रही। ज्योतिषियों के अलग-अलग मत होने के कारण किसी होलिका दहन कमेटी ने सुबह सूर्योदय से पहले होलिका दहन किया तो किसी कमेटी ने शाम के समय होलिका को अग्नि दी। होलिका दहन के बाद लोगों ने एकदूसरे के माथे पर अबीर का टीका लगाया और गालों पर गुलाल मलकर होली की शुभकामनाएं दीं।वैसे तो बीते कुछ वर्षों से लगातार ऐसा देखने में आ रहा है कि विशेष त्योहार दीपावली और रक्षाबंधन में भद्राकाल के चलते पर्व दो दिन मनाये जा रहे थे, लेकिन ऐसा कई साल बाद हुआ कि जब होलिका दहन भी अलग-अलग समय पर हुआ हो। ज्योतिषियों के अनुसार पूर्णिमा तिथि मंगलवार को सुबह आई। इसके बाद होलिका दहन का सुबह सूर्योदय से पहले का मुहूर्त था। जिसको देखते हुए जनपद में तकरीबन 50 प्रतिशत होलिका दहन कमेटियों ने होलिका दहन कर दिया। बाकी होलिका में शाम को अग्नि देकर लोगों ने होलिका महारानी की परिक्रमा की और गेहूं की बाली व चने का बिरवा होलिका को अर्पण करने के बाद स्वयं प्रसाद रूप में ग्रहण किया। होलिका दहन होने के साथ ही लोगों ने एकदूसरे को माथे पर अबीर का तिलक लगाया और गालों पर जमकर गुलाल मला। जहां मंगलवार को सुबह होलिका दहन हो गया, वहां लोगों ने रंग भी खेलना शुरू कर दिया। इनमें ग्रामीण इलाकों समेत शहर के भी कुछ मोहल्ले शामिल रहे। उधर होरियारों ने त्योहार पर बाजार में आई विशेष टोपियां पहनकर होलिका दहन के बाद डीजे में होली के गीतों पर जमकर डांस किया। देर रात तक होरियारे संगीत पर अपनी धुन में थिरकते रहे। कल बुधवार और गुरुवार को यहां जमकर होली खेली जायेगी। होली के त्योहार पर हुड़दंग में किसी प्रकार की अप्रिय घटना न होने पाये इसको ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी ने सोमवार को भांग और शराब की दुकानें गुरुवार को अपराह्न 2 बजे तक पूरी तरह से बंद रखने का आदेश दिया है।