नयी दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बाल विवाह उन्मूलन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि संबंधित कानूनों को लागू करने के लिए आम जनता को सहयोग देना होगा।श्रीमती ईरानी ने यहां कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की ओर से ‘नेशनल कंसल्टेशन ऑन चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि बाल विवाह एक अपराध है और इसे पूरी तरह से खत्म करना होगा। उन्होंने कहा, “ हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम इसे मौजूदा 23 प्रतिशत से शून्य प्रतिशत पर ले आएं। हम बाल विवाह को इतिहास बनाएंगे। सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।”केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाल विवाह के उन्मूलन के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून अपना काम कर रहा है लेकिन लोगों को इसके लिए सरकार के साथ आना होगा। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में पुरुषों को भी साथ लाना होगा।श्रीमती ईरानी ने कहा, “भारत से बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार, सभी स्वयंसेवी संगठनों और लोगों को एकजुट होकर काम करना होगा। हमें कैलाश सत्यार्थी जैसे और लोगों को गढ़ना होगा ताकि इस सामाजिक बुराई को खत्म करने में तेजी आ सके।” कार्यक्रम का उद्घाटन बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने वाली बच्चियों ने दीप जलाकर किया।इस मौके पर देश भर से आए बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्षों, सदस्यों और स्वयंसेवी संगठनों से बाल विवाह के खिलाफ मिलकर काम करने की अपील करते हुए नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा, “हम बाल विवाह को सामाजिक बुराई और कानूनी अपराध के अलावा मानव स्वतंत्रता, अस्मिता, सामाजिक नैतिकता, समानता और समावेशिता पर एक क्रूर प्रहार मानते हैं। हमें एक देश के रूप में, पीड़ितों को वित्तीय सहायता, कानूनी सहायता और पुनर्वास प्रदान करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। बच्चों, खासकर लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देते हुए सरकार और सभी राजनीतिक दलों से मांग करेंगे कि मुफ्त अनिवार्य शिक्षा की आयु सीमा बढ़ाकर 18 साल की जाए।”उन्होंने कहा कि देश में 20 से 24 वर्ष की उम्र की 23 प्रतिशत से ज्यादा ऐसी महिलाएं हैं जिनकी शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले कर दी गयी। हमारा लक्ष्य है कि साल 2025 तक इसमें 10 प्रतिशत की कमी लाई जाए और 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाया जाए।कार्यक्रम में भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष और 14 राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्षों तथा उनके प्रतिनिधियों समेत 100 से ज्यादा स्वयंसेवी संगठनों की भी मौजूदगी रही। कार्यक्रम में बाल विवाह वाले देशभर के 250 से ज्यादा संवेदनशील जिलों में इसे रोकने के लिए विशेष कार्ययोजना भी बनी।
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