ढाका । भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया तीन दिनों की यात्रा पर ढाका पहुंचे। पिछले चार महीनों में भारतीय वायु सेना प्रमुख की यह दूसरी बांग्लादेश यात्रा है। इससे पहले वे फरवरी के आखिरी सप्ताह में ढाका गए थे, जहां उन्हें मीरपुर हॉल ऑफ फेम में शामिल कर सम्मानित किया गया था।वायुसेना प्रमुख के बांग्लादेश दौरे से दो माह पहले थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बांग्लादेश का दौरा किया था। ढाका में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर बताया कि एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएम, एडीसी, बांग्लादेश वायु सेना के प्रमुख के आमंत्रण पर तीन दिवसीय दौरे पर ढाका पहुंचे। उम्मीद है कि एयर चीफ मार्शल अपने बांग्लादेशी समकक्ष के साथ दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को विस्तार देने पर बातचीत करेंगे।लद्दाख में भारत के साथ उलझा चीन इन दिनों एशिया खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रहा है। यही कारण है कि चीन की चाल को जवाब देने के लिए भारत और अमेरिका दोनों चौकन्ने हो गए हैं। भारत को चौतरफा घेरने की रणनीति के तह चीन म्यांमार की सैन्य सरकार के जरिए बांग्लादेश तक सड़क मार्ग बनाने की कोशिश में जुटा है। शेख हसीना के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद बांग्लादेश के तेवर बदल गए हैं। अब वह चीन की ढ़ांचागत परियोजनाओं को तवज्जो दे रहा है।पिछले साल बांग्लादेश ने सिलहट में एयरपोर्ट टर्मिनल का ठेका चीनी कंपनी को दे दिया। जबकि सिलहट भारत की उत्तर-पूर्व सीमा से सटा है और संवेदनशील इलाका माना जाता है। इसकी मदद से चीन भारत के पूरे नॉर्थ ईस्ट इलाके पर नजर रखने का प्लान बना रहा था। चीन बंगाल की खाड़ी में भारत को घेरने के लिए हर हाल में अपनी उपस्थिति बनाना चाहता है। यही कारण है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट की पूरी दुनिया ने आलोचना की लेकिन, चीन ने हर कदम पर म्यांमार की सेना का पक्ष लिया।उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में म्यांमार सेना की आलोचना करने वाले प्रस्ताव पर वीटो किया था। आंग सांग सू की की सरकार चीन के प्रोजक्ट्स को मंजूरी नहीं दे रही थी, जिससे बांग्लादेश तक चीन के पहुंचने का सपना प्रभावित हो रहा था। गौरतलब है कि चीन ने बांग्लादेश में 26 अरब डॉलर का निवेश किया है, जबकि 38 अरब डॉलर निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके साथ ही बांग्लादेश उन देशों में शामिल हो गया है, जहां पर चीन ने आधारभूत संरचना में सबसे अधिक निवेश किया है। बांग्लादेश चीन से लगभग 15 बिलियन डॉलर का आयात करता है। जबकि चीन को बांग्लादेश से निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं की कीमत आयात के मुकाबले बहुत कम है।