जौनपुर। शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ में नमाज़ के बाद शिया जामा मस्जिद के मुतवल्ली शेख़ अली मंज़र ड़ेज़ी की वालेदा मरहूमा की मजलिसे तरहीम को सम्बोधित करते इमामे जुमा एवं प्रिंसिपल मौलाना महफुज़ुल हसन खां ने कहा कि इन्सान अगर तालिमयाफ्ता (शिक्षित) और तरबीयत याफ़्ता (प्रशिक्षित) हो तो समाज को सही राह दिखा सकता है। उन्होंने बनी उम्मया के एक ख़लीफा / बादशाह उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी अच्छी तरबीयत हुई इसलिए उन्होंने अपने दौरे हुकुमत में बहुत से सुधार किए। उन्होंने अहलेबैत के हक़ को पहचाना और नमाज़े जुमा के ख़ुत्बे में हज़रत अली अलैहिस्सलाम पर उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ दुरूदो सलाम करते और उनके फज़ायल ख़ूब ब्यान करते थे । मजलिस में मौलाना ने हज़रत इमाम हुसैन के मसायब को ब्यान करते हुए उनकी दर्द नाक शहादत का ज़िक्र किया , तमाम हाज़ेरीन मजलिस की आंखें अश्कबार हो गई। अन्जुमन गुलशने इस्लाम बाज़ार भुआ के मोहम्मद तक़ी बादशाह ने नौहा खानी की मोमेनीन ने समाजसेवी शेख़ अली मंज़र ड़ेज़ी की वालेदा मरहूमा सुग़रा बेगम बिन्ते अली बख़्श मरहूम की मग़फेरत के लिए सूर ए फातेहा पढ़ा। मजलिस में आए हुए सभी लोगों का शेख नुरुल हसन मेमोरियल सोसायटी परिवार ने शुक्रिया अदा किया । मौलाना मेहंदी मिर्जापुरी, सैय्यद परवेज़ हसन, शकील अहमद , असलम नक़्वी, कौसर बाबा अहरौली , डॉक्टर हाशिम खां, ज़ाकिर नसीम वास्ती , शाहिद हुसैन रिज़वी गुड्डू, मिर्ज़ा कौसर , मोहम्मद नासिर रज़ा गुड्डू, , इश्तेयाक़ कर्बलाई, अज़मी मेहदी, सैय्यद नासिर हुसैन गुड्डू , समर रज़ा , अहमद, राजा, हिटलर इत्यादि उपस्थित थे।
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