डिजिटल नवाचार से सामाजिक न्याय हो: मुर्मू

नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रौद्योगिकी का उपयोग करके डिजिटल सुविधाओं के लाभ के मामले में अगड़े-पिछड़े के बीच खाईं कम करने पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि डिजिटल नवाचारों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय होना चाहिए।श्रीमती मुर्मू ने कहा कि भारत डिजिटल अंत्योदय की हमारी यात्रा में समाज के कमजोर और हाशिए पर पड़े वर्गों को शामिल करने, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को मजबूत करने का सही उदाहरण पेश कर रहा है। वह यहां सातवें डिजिटल इंडिया वितरण समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने डाटा के उपयोग के लोकतंत्रीकरण पर भी बल दिया।श्रीमती मुर्मू ने कहा कि सामाजिक न्याय डिजिटल नवाचारों का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। भारत एक ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में तभी विकसित होगा, जब प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से डिजिटल अंतर को काफी हद तक पाट दिया जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत डिजिटल अंत्योदय की हमारी यात्रा में समाज के कमजोर और हाशिए पर पड़े वर्गों को शामिल करने, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को मजबूत करने का सही उदाहरण पेश कर रहा है।नागरिक सशक्तीकरण और डेटा साझाकरण मंच से लेकर व्यापार करने में आसानी तक-विभिन्न श्रेणियों में दिए जाने वाले ये पुरस्कार केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और संगठनों को डिजिटल पहल और नवाचार के माध्यम से उल्लेखनीय जनोपयोगी पहल के लिए दिये जाते हैं।इस बार पुरस्कृत पहलों में कृषि मंत्रालय की इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पहल भी है, जिसने डिजिटल नागरिक सशक्तीकरण श्रेणी में प्लेटिनम पुरस्कार (प्रथम) जीता है। पुरस्कार विजेताओं में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की वेबसाइट भी शामिल है।श्रीमती मुर्मू ने कहा कि डिजिटल इंडिया पुरस्कार 2022 न केवल सरकारी संस्थाओं बल्कि स्टार्टअप को भी डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए स्वीकार और प्रेरित करता है। उन्होंने इस पुरस्कार को भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलने की दिशा में उठाया गया कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटल रूप से सशक्त समाज में डिजिटल गवर्नेंस या डिजिटल शासन के प्रभावी उपयोग से लोगों की क्षमता का पता चलता है।राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के डिजिटल परिवर्तन की कहानी नवाचार, क्रियान्वयन और समावेश की कहानी है। उन्होंने दुनिया को अधिक सुलभ और न्यायसंगत स्थान बनाने के लिए अभिनव समाधान खोजने के लिए सहयोगी मंच बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों ने दुनिया को भारतीय प्रतिभा के मूल्य का एहसास कराने में उल्लेखनीय काम किया है। उन्होंने कहा,“ हमें प्रचलित नीतियों का लाभ उठाना चाहिए और नवीन मेड-इन-इंडिया तकनीकों का निर्माण करके देश को सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर उत्पादों के लिए वैश्विक पावरहाउस के रूप में स्थापित करने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाना चाहिए।राष्ट्रपति ने कहा कि डेटा नया ज्ञान, अंतर्दृष्टि और इस प्रकार समाधान बनाने की आधारशिला है और आवेदन के पूरे नए क्षेत्रों की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा,“ हमें सरकारी डेटा के उपयोग को लोकतांत्रिक करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि युवा प्रौद्योगिकी उत्साही इसका उपयोग स्थानीयकृत डिजिटल समाधान बनाने के लिए कर सकें। ”