जौनपुर। खेती किसानी पर ग्रहणों की कमी नहीं है। किसान का जीवन हर कदम पर दुःख भरा हुआ है। चाहे खाद की किल्लत हो,नहर के पानी का इंतजार हो, मौसम की मार हो या छुट्टा और जंगली जानवरों का आतंक हो हर बात में किसान की लाचारी ही नजर आती है। जिले में ग्रामीण इलाकों में जहां गेहूं की पहली सिंचाई के बाद खाद देने का कार्य चल रहा है। नीलगाय और आवारा गोवंश इन्हें तहस नहस करने में जुटे हुये हैं लेकिन लम्बे क्षेत्र में गेहूं की बुआई होने से कितना भी जानवर चरें मगर पैदावार कुछ न कुछ हो ही जाती है क्योंकि पौधे की जड़ सलामत रहती है लेकिन सबसे दुखदाई जंगली सूअरों का हमला है जिसमें तैयार होने की कगार पर खड़ी आलू की फसल की खुदाई किसानों से पहले ही वन सूअर कर दें रहें हैं। जिसमें आलू की पूरी फसल सत्यानाश हो जा रही है। मामला विकास खंड मछलीशहर के बसुही नदी किनारे बसे गांव बामी, राजापुर, महापुर, भुसौला, नरसिंहपुर, किशुनदासपुर, भटेवरा और कठार गांवों का है जहां रातों रात आलू के खेतों का हिसाब किताब वन सूअर चुकता करने में जुटे हुये हैं। बामी गांव की वंशराजी पाल कहती हैं कि इतनी लागत लगाकर आलू की खेती की गई लेकिन सुबह शाम खेत में आने पर निराशा ही हाथ लग रही है।वन सूअर फसल बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।यह हमलावर भी हैं जिस कारण इनके पास जाने पर भी डर लगता है।बामी गांव के ही बलेस्टर पाल कहते हैं कि इनका आंतक नदी किनारे बसे आस पास के सभी गांवों तक है।
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