जयंती पर याद किए गए महामना मदन मोहन मालवीय

बहराइच। सेनानी भवन में रविवार को सेनानी उत्तराधिकारी संगठन की ओर से महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती उनके चित्र पर माल्यार्पण कर मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश मिश्रा ने किया। संरक्षक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय जन्म 25 दिसम्बर 1861 को हुई थी। वह महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद ही नहीं, बल्कि एक बड़े समाज सुधारक भी थे। इतिहासकार वीसी साहू के अनुसार हिन्दू राष्ट्रवाद के समर्थक मदन मोहन मालवीय देश से जातिगत बेड़ियों को तोड़ना चाहते थे। उन्होंने दलितों के मन्दिरों में प्रवेश निषेध की बुराई के खिलाफ देशभर में आंदोलन चलाया। 24 दिसम्बर 2014 को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पंडित मदनमोहन मालवीय को मरणोपरांत देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न‘ से नवाजा। सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के प्रदेश महामंत्री रमेश मिश्रा ने कहा कि मदनमोहन मालवीय की प्राथमिक शिक्षा इलाहाबाद के ही श्री धर्मज्ञानोपदेश पाठशाला में हुई जहाँ सनातन धर्म की शिक्षा दी जाती थी । इसके बाद मालवीय जी ने 1879 में इलाहाबाद जिला स्कूल से एंट्रेंस की परीक्षा उत्तीर्ण की और म्योर सेंट्रल कॉलेज से एफ.ए. की। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण मदनमोहन को कभी-कभी फीस के भी लाले पड़ जाते थे। इस आर्थिक विपन्नता के कारण बी.ए. करने के बाद ही मालवीय जी ने एक सरकारी विद्यालय में 40 रुपए मासिक वेतन पर अध्यापकी शुरू कर दी। इस मौके पर पूर्व विधायक राम सागर राव, आदित्य भान सिंह, जय सिंह, विनीत कुमार, मुकेश श्रीवास्तव, राजन यादव, आदी लोग मौजूद रहे।