कौशाम्बी। यह कह लिया जाए कि जिले में निजी अस्पतालों की भरमार है तो यह गलत नहीं होगा। इसमें भी हद तब हो जाती है, जब तमाम ऐसे चिकित्सक जिनके पास डिग्री भले कुछ न हो, लेकिन इलाज और ऑपरेशन जोखिम भरा करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में मरीज और परेशान होता या फिर ठीक हो जाता है, इसकी गारंटी आखिर लेने वाला कौन है। आखिर इस ओर सीएमओ कार्यालय के जिम्मेदारों का ध्यान क्यों नहीं जाता, इसके लेकर बुद्धिजीवियों में हैरानी हो रही है।यहां बताना जरूरी होगा कि वर्तमान समय में जिला मुख्यालय में तकरीबन दो दर्जन अस्पतालें संचालित हो रही हैं। सबसे ज्यादा अस्पतालें जिला अस्पताल के इर्द गिर्द संचालित हैं। इसके पीछे निजी अस्पताल संचालकों की मंशा होती है, कि जिला अस्पताल से रेफर किए गए मरीजों को उनके एजेंट तमात तरह की सुविधाओं का लालच देकर अपने अस्पताल खींच ले जाते हैं और फिर शुरू करते हैं धनादोहन। मरीज ठीक हुआ तो बड़ी बात है नहीं ठीक हुआ तो उसे प्रयागराज के अस्पताल का पता बताकर भेज देते हैं, तब तक मरीज का तिमारदार लुट भी चुका होता है और मरीज गंभीर भी। हालांकि सीएमओ कार्यालय का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जाता यह तो स्पष्ट कर पान मुश्किल है। खैर यह तो रही मुख्यालय स्थित अस्पतालों की चर्चा, लेकिन इन दिनों बंगाली चिकित्सक कुछ ज्यादा ही हावी दिखाई दे रहे हैं। शमशबाद से पहले सेलरहा के समीप संचालित बंगाली चिकित्सक की दुकान। हालांकि इनके पास डिग्री कितनी है यह तो विभाग को भली भांति पता होगा। लेकिन यदि इलाके में हो रही चर्चाओं पर जाएं तो कहा जा रहा है कि डिग्री भले ही सर्जन की न हो लेकिन ऑपरेशन जोखित से जोखिम करने से बांगाली चिकित्सक बाज नहीं आते। अभी कुछ दिनों पहले हाइड्रोशील का ऑपरेशन कराने के बाद मंगरोहनी गांव निवासी एक प्रजापति की हालत गंभीर हो गई और अंततः उसे दुनिया से विदा लेना पड़ा। इस तरह के तमाम उदाहरण है, लेकिन इसके बावजूद भी विभागीय जिम्मेदार ऐसे चिकित्सकों की ओर अपनी निगाह नहीं दौड़ा रहे हैं। आखिर इसके पीछे वजह क्या है। इसे लेकर क्षेत्रीय बुद्धिजीवी जनता तमाम तरह के चर्चा करती देखी जा रही है। इस तरह से समूचे जिले में स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ा व्यापार चल रहा है। इसके पीछे सीएमओ कार्यालय की अनदेखी कह लिया जाए या फिर विभागीय जिम्मेदारों की लापरवाही भरी नीति। लेकिन कुछ भी हो निजी अस्तपल के चिकित्सक मरीज को भले न ठीक कर पाएं लेकिन इलाज के नाम पर मोटी रकम ऐंठ कर तिमारदार को और गरीब जरूर बना रहे हैं। हालांकि जिले की जनता ने इस ओर जिलाधिकारी सुजीत कुमार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए ऐसे अस्पताल व चिकित्सकों की जांच कराकर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यवाही कराए जाने की मांग किया है।
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