जौनपुर। शीतला चैकियां धाम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चैथे दिन सुल्तानपुर से पधारे कथा वाचक आचार्य मनीष चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि सनातन धर्म में पवित्र ग्रंथ भागवत गीता रामायण जैसे अनेक ग्रंथ मानव जीवन के लिए कल्याणकारी है। मानव जीवन में जीने की कला सिखाती है गीता, रामायण व भागवत। मोक्ष प्राप्ति का साधन है श्रीमद्भागवत कथा। वेदों का सार है गीता। रामायण जैसे ग्रंथ में बुराई पर अच्छाई की जीत की सबसे बड़ी सीख है बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है । विविधता में एकता,ऐश्वर्य से बढ़कर रिश्ते ,अच्छी संगति का महत्व,सच्ची भक्ति और समर्पितता,माफ़ करना बदला लेने से अच्छा चरित्र है। सबसे समान व्यवहार भगवान की सच्ची सेवा रामायण जैसे ग्रंथ से ही मानव जीवन की सीख मिलती है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों के उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व जन्म के गूढ़ रहस्यों को बताया। अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उन्हें अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था।भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और वसुदेव ने भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंचा दिया। भगवान की लीला वे ही समझ सकते हैं। कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया। इस मौके पर उपस्थित हनुमान त्रिपाठी, राधारमण तिवारी, कौशल दुबे,रंजन दुबे, पवन दुबे, राहुल त्रिपाठी, गौरव तिवारी, पंडित सीतारमन शरण जी महाराज, आनंद त्रिपाठी, हरिहर दत्त तिवारी,समेत अनेक लोग कथा पंडाल में मौजूद रहे।
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