वाराणसी l काशी-तमिल संगमम के अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो की ओर से बीएचयू के एम्फीथियेटर मैदान में लगाई गई मल्टीमिडिया प्रदर्शनीl एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को देखने के लिए वाराणसी नगर एवं आसपास विभिन्न जनपदों सहित देश के कोने-कोने से वाराणसी भ्रमण पर आने वाले लोग पहुंच रहे हैं। प्रदर्शनी में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े चित्र आने वाले तमिलनाड़ु एवं काशीवासियों को अपने सुनहरे और गौरवशाली अतीत से वाकिफ करा रहे हैं। यह प्रदर्शनी सभी के लिए प्रेरणादायी साबित हो रही है। प्रदर्शनी में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े तमिलनाडू के योगदान को बखूबी समझाने का प्रयास किया गया है। प्रदर्शनी पंडाल में पधारी पद्मश्री चिकित्सक एयर मार्शल बंदोपाध्याय ने प्रदर्शनी के अवलोकन के बाद कहा कि एयरफोर्स में 33 वर्षों की सेवाकाल के दौरान मैंने 3 युद्ध देखा। उस दौरान यह महसूस किया कि हम सब भाई-बहन हैं। क्योंकि युद्ध के दौरान जब किसी को गोली लगती है तो उसका अपना सगा सम्बन्धी नहीं खड़ा होता है। वो फौज का ही व्यक्ति होता है चाहे वो देश के किसी भी कोने का हो। कहाकि मैं मद्रासी हूं लेकिन यह कोई बात नहीं है हम सब भारतीय हैं। काशी मे जो तमिल संगमम हो रहा है यह बहुत जरूरी है। क्योंकि हमारे देश में बहुत सी भाषाएं हैं और लोगों का रहन-सहन भी भिन्न-भिन्न प्रकार का है। काशी विश्व की सबसे प्राचीनतम नगरी है। रामेश्वरम में जन्म लिए लोग भी काशी आते हैं क्योंकि उनका मानना है कि काशी आने से सबसे बड़ा पुण्य मिलता है। उन्होंने मल्टीमिडिया प्रदर्शनी को स्वतंत्रता आंदोलन नायकों, गुमनाम नायकों के योगदान जन -जन तक पहुंचाने का एक सफल प्रयास है l उन्होंने प्रदर्शनी देखने वालों को उन्होंने सुब्रह्मणयम भारती, सी राज गोपालाचारी,के. कामराज, धीरन चिन्नामलाई, रानी वेलु नाचीयार मारुधु ब्रदर्स, पुली ठेवर आदि के सामजिक परिवर्तन में योगदान पर विस्तृत जानकारी दी lविभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों एवं गणमान्य जन आज भी बड़ी संख्या में l प्रदर्शनी देखा और सेल्फी लिया प्रचार सामग्री प्राप्त किया l
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