नई दिल्ली। टाटा स्टील के पूर्व एमडी जमशेद जे ईरानी नहीं रहे। जमशेद जे ईरानी ने सोमवार रात जमशेदपुर में आखिरी सांस ली। ईरानी के जाने से टाटा स्टील को बड़ा नुकसान हुआ है। ईरानी ने टाटा स्टील को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। पद्म भूषण डॉ जमशेद जे ईरानी 4 दशकों से भी अधिक समय से टाटा स्टील से जुड़े रहे। वे जून 2011 में टाटा स्टील के बोर्ड से रिटायर हुए थे। स्टील सेक्टर में व्यापक योगदान के लिए इन्हें भारत का स्टील मैन भी कहा जाता है। जमशेद जे ईरानी नागपुर में 2 जून 1936 को जीजी ईरानी और खोरशेद ईरानी के घर जन्मे थे। डॉ ईरानी ने साल 1956 में साइंस कॉलेज, नागपुर से साइंस में स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने साल 1958 में नागपुर यूनिवर्सिटी से भूविज्ञान से मास्टर्स किया। इसके बाद वे यूके में शेफील्ड यूनिवर्सिटी गए। यहां से उन्होंने साल 1960 में धातुकर्म से मास्टर्स किया। इसके बाद उन्होंने धातुकर्म से ही साल 1963 में पीएचडी की।ईरानी ने साल 1963 में शेफील्ड में ब्रिटिश आयरन एंड स्टील रिसर्च एसोसिएशन के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। लेकिन वे हमेशा देश के विकास में योगदान देना चाहते थे। वे भारत वापस लौट आए। यहां आकर उन्होंने साल 1968 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (वर्तमान में टाटा स्टील) जॉइन की। उन्होंने रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डायरेक्टर इन-चार्ज के सहायक के रूप में जॉइन किया था। इसके बाद वे जनरल सुपरिटेंडेंट, जनरल मैनेजर, प्रेसिडेंट, जॉइंट एमडी और एमडी बने। टाटा स्टील और टाटा संस के अलावा डॉ ईरानी ने टाटा मोटर्स और टाटा टेलीसर्विसेज सहित टाटा समूह की कई कंपनियों के निदेशक के रूप में भी काम किया।
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