जौनपुर। विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी में मंगलवार की रात रामलीला के आखिरी दिन लंका दहन से मेघनाद वध तक का मंचन किया गया। सीता से मिलने के बाद हनुमान जी अशोक वाटिका में फलों को खाने के लिए जाते हैं ।रखवाली करने वाले राक्षसों से भीषण युद्ध होता है।राक्षस भागकर रावण के दरबार में जाते हैं। अशोक वाटिका के उजाड़ने की खबर देते हैं।मेघनाद हनुमान को पकड़ने वाटिका आता है। हनुमान को पकड़ने पर विफल रहने पर ब्रह्मफास चलाता और हनुमान ब्रह्मा के सम्मान में सर झुका कर बध जाते। रावण के दरबार में पेशी होने पर रावण कहते हैं कि क्यों वाटिका उजाड़ा और राक्षसों को क्यों मारे ? हनुमान प्रतिउत्तर में कहते हैं कि फल खाकर पेड़ उखाड़ना बन्दर का स्वभाव है और राक्षसों ने उन्हें मारा है इसलिए उन्होंने भी राक्षसों को मारा है। क्रोधित रावण हनुमान को मारने को कहता है। विभीषण दूत को ऐसी सजा देने से मना करते हैं।अन्त में हनुमान के पूंछ में आग लगाने का पर सहमति बनती है। उनके पूंछ में घी तेल भिगोकर कपड़ा लपेट कर आग लगा दी जाती है। हनुमान दरबार से बाहर निकल कर कूद फांदकर आग लगाना शुरू कर देते हैं लेकिन विभीषण के घर को नहीं जलाते हैं।नगरवासी लंका को धूं- धूं कर जलता देख रोने बिलखने लगते हैं। पूंछ की आग बुझाकर हनुमान सीता से पुनः आकर मिलते और उनकी चूड़ामणि लेते हैं तथा जल्द ही वानरी सेना लेकर वापस आने का आश्वासन देकर विदा हो जाते हैं। समुद्र लांघकर वापस आते हैं और बन्दरों को लेकर राम के पास वापस आते हैं और सारा यात्रा वृत्तांत बताते हैं।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post