जौनपुर । विजय दशमी बुधवार को हवेली राजा जौनपुर के हवेली मे राजा अवनींद्र दत्त ने विधि – विधान के से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शस्त्र पूजन किया । इस अवसर पर जिले के गण्यमान लोग मौजूद रहे । पूजन राज पुरोहित पंडित जनार्दन मिश्र ने सम्पन्न कराया । शस्त्र पूजन की परंपरा उनके पूर्वज राजा शिवलाल दत्त ने 1778 में शुरू की थी , तब से आज तक चली आ रही है , शस्त्र पूजन का यह 244 वाँ वर्ष है । जौनपुर रियासत के 12 वें नरेश कुंवर अवनींद्र दत्त के हाथों दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजन हुआ है। दरबार का शानदार दृश्य देखने को मिलता है। जिसमें शहर के गणमान्य, व्यापारी, अलग लिवास में साफे की पगड़ी पहने दरबार हाल की शोभा बढ़ाते हैं। यही नहीं राजा जौनपुर के पोखरा पर मेला एवं राजा जौनपुर के हाथों रावण दहन देखने के लिए गांव देहात से आने वाली भीड़ जुटती है। बताया गया कि जौनपुर रियासत के प्रथम नरेश राजा शिवलाल दत्त ने 1798 में विजय दशमी के दिन शस्त्र पूजन एवं दरबार की शुरुआत की थी।दरबार हाल में उस समय जिलेदार (ठिकानेदार), सर्वराकार, राज वैध, हकीम, व्यापारी सहित गणमान्यजनों की उपस्थिति में शस्त्र पूजन वैदिक रीति-रिवाज से राज ज्योतिषी के निर्धारित लग्नानुसार संपन्न हुआ करता था। तत्पश्चात द्वितीय राजा बाल दत्त की धर्मपत्नी रानी तिलक कुंवर ने 1848 में पोखरे पर विशाल मेले की शुरुआत की थी। राजा जौनपुर की सवारी शाही अंदाज में हवेली से मानिक चैक, सिपाह होते हुए मेला स्थल (राजा साहब का पोखरा) तक पहुंच कर रावण दहन करने के बाद शमी पूजन करते हुए वापस हवेली पहुंचती है । इस दौरान राजा का दर्शन करने वालों की भीड़ देखने को जुटती थी। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। महारानी तिलक कुंवर ने इसी वर्ष (1845) में रामलीला की शुरुआत की थी, जो रामनगर में होने वाली रामलीला के तर्ज पर होता था। जिसका प्रारंभ राजा बाजार से होकर राजा साहब के पोखरा पर राम-रावण युद्ध के बाद रावण दहन फिर राज तिलक के पश्चात पूर्ण होता था। पंडितजी की रामलीला ने इसे जारी रखने का प्रयास किया है। वर्तमान में अनेकों घरानों, संगठनों की तरफ से शस्त्र पूजन किया जाता है, लेकिन जौनपुर रियासत के हवेली स्थित आकर्षक दरबार हाल में राज पुरोहित सहित पांच पंडितों की उपस्थिति में शस्त्र पूजन होता है ।
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