समावेशी समाज से ही आएगी समानता- प्रोफेसर धनंजय यादव

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के शिक्षा विद्या शाखा के तत्वावधान में  मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा शिक्षक विषय पर आभासीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर धनंजय यादव, विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा शिक्षक विषय पर अपना प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सभी लोगों की आवश्यकता को देखते हुए समावेशी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में राष्ट्रीयता की भावना के तहत मेक इन इंडिया को महत्व दिया गया है । उन्होंने कहा कि किसी देश का या समाज का विकास तभी माना जा सकता है जब तक उसमें रहने वाले सभी लोगों को समान अवसर समानता के साथ प्रदान किया जाए। इसके लिए समाज का समावेशी होना अति आवश्यक है। प्रोफेसर यादव ने बालक केंद्रित शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि बालकों के सभी पक्षों का आकलन करते हुए उनकी रुचि के अनुसार उन्हें अपने कार्य क्षेत्र का चुनाव करने का अवसर दिया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि बालक बालिकाओं को कौशल युक्त व्यावसायिक शिक्षा दिए जाने की आवश्यकता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षक ही वह व्यक्ति है जो अपने छात्र  की अंतर्निहित शक्तियों को पहचानते हुए आकार देता है और उसको एक काबिल इंसान बनाता है । उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा अधिनियम 2020 शिक्षा के सभी तथ्यों का ध्यान रखते हुए बनाया गया है। इसमें शिक्षकों को जहां आधुनिक प्रणाली से अवगत होने का मौका मिलेगा वहीं तकनीकी शिक्षा का प्रयोग करते हुए शिक्षा प्रदान की जाएगी।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर प्रेम शंकर राम, शिक्षा संकाय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन  के जीवन पर प्रकाश डालते हुए  कहा कि शिक्षा सर्वश्रेष्ठ धन है। शिक्षा के द्वारा अच्छे राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है । समाज के निर्माण की प्रक्रिया में शिक्षक की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है । जिस प्रकार कुम्हार बर्तन बनाते समय मिट्टी को गढ़ गढ़ कर उसको आकार देते हुए उसका अलंकरण करता है उसी प्रकार एक शिक्षक शिक्षार्थी के तमाम पहलुओं से अवगत होते हुए आवश्यकतानुसार बालक में सुधार एवं बदलाव लाने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि आज प्राथमिक शिक्षा पर बल देने की आवश्यकता है।इससे पूर्व प्रोफेसर पी के स्टालिन, निदेशक, शिक्षा विद्या शाखा ने अतिथियों का स्वागत तथा प्रोफेसर छत्रसाल सिंह ने विषय प्रवर्तन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ दिनेश सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ गिरीश कुमार द्विवेदी ने किया। इस आभासीय संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के सभी निदेशक, आचार्य, सह आचार्य, सहायक आचार्य, विश्वविद्यालय के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के समन्वयकों व  विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।