न्यूयॉर्क। भारत अपने मित्र देश रूस के खिलाफ पहली बार 24 अगस्त को यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुए ‘प्रोसीज़रल वोट’ के दौरान उसके विरुद्ध मतदान किया है। इस दौरान 15 सदस्यीय शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र निकाय ने वीडियो टेलीकॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक को संबोधित करने के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को आमंत्रित किया था। खबरों के मुताबिक फरवरी में रूसी सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद, यह पहली बार है, जब भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर रूस के खिलाफ मतदान किया है।अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक और अन्य प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि भारत ने यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को की आक्रामकता के लिए रूस की आलोचना नहीं की। नई दिल्ली ने बार-बार रूसी और यूक्रेनी पक्षों से कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया, और दोनों देशों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के सभी राजनयिक प्रयासों के लिए अपना समर्थन भी व्यक्त किया है। आपको बता दें कि भारत वर्तमान में दो साल के कार्यकाल के लिए यूएनएससी का अस्थायी सदस्य है, जिसका कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो जायेगा। 24 अगस्त को, यूएनएससी ने यूक्रेन की स्वतंत्रता की 31वीं वर्षगांठ पर छह महीने से चल रहे युद्ध का जायजा लेने के लिए एक बैठक की। बैठक के शुरू होते ही, संयुक्त राष्ट्र में रूसी राजदूत वसीली ए. नेबेंजिया ने वीडियो कांफ्रेंस द्वारा बैठक में यूक्रेनी राष्ट्रपति की भागीदारी के संबंध में एक प्रोसीज़रल वोट कराने का अनुरोध किया था।इस संबंध में भारत समेत 13 देशों ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लेने के पक्ष में वोट किया। वहीं रूस ने विरोध में तो चीन ने इस प्रक्रिया से खुद को दूर रखा। रूस ने जेलेंस्की की भागीदारी पर कहा कि वह उनका विरोध नहीं करते हैं, लेकिन ऐसी भागीदारी व्यक्तिगत रूप से होनी चाहिए। रूसी राजदूत नेबेंजिया ने कहा कि वह कोरोना के बाद स्थिति ठीक होने के बाद वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा जेलेंस्की की भागीदारी का विरोध करते हैं। रूस की इसी आपत्ति पर यूएनएससी ने प्रोसीज़रल वोट कराया था, जिसमें भारत ने यूक्रेनी राष्ट्रपति के वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से जुड़ने का समर्थन किया।
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