ओटावा। ईसाई समुदाय के धार्मिक गुरु पोप फ्रांसिस ने अपनी कनाडा ‘प्रायाश्चित यात्रा’ के दौरान स्थानीय आदिवासियों से चर्चों द्वारा किये गए कुकर्मों को लेकर सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगी हैं। यात्रा के पहले ही दिन उन्होंने चर्च द्वारा संचालित आवासीय स्कूलों में किये गए अत्याचारों पर खुलकर बात की। दुनिया के 1.3 अरब कैथोलिकों के नेता की क्षमा की याचिका को पश्चिमी अलबर्टा प्रांत के मास्कवासिस में फर्स्ट नेशंस, मेटिस और इनुइट आदिवासी लोगों की भीड़ ने तालियों के साथ सराहा। कनाडा के कैथोलिक चर्चों द्वारा संचालित स्कूलों में स्थानीय लोगों के लाखों बच्चों को जबरन पकड़कर ले जाया गया था। एक आंकड़े के मुताबिक 1 लाख 50 हज़ार से अधिक बच्चों को क्रिश्चियन बनाने की नीति के तहत जबरन उनके घर से उठा लिया गया था। कनाडा में इसे कल्चरल जेनोसाइड (सांस्कृतिक नरसंहार) कहा जाता है।
85 वर्षीय पोप ने अपने अभिभाषण में स्थानीय आदिवासियों से माफ़ी मांगी। उन्होंने ‘सांस्कृतिक विनाश’ और दशकों के दौरान बच्चों के ‘शारीरिक, मौखिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शोषण’ का हवाला देते हुए कहा, ‘मैं आदिवासी लोगों के खिलाफ ईसाइयों द्वारा किये गए अत्याचारों के लिए विनम्रतापूर्वक क्षमा चाहता हूं।’ उन्होंने औपचारिक रूप से स्वीकार किया कि चर्च के कई लोगों ने इस अत्याचार में शामिल थे। पोप कनाडा के आदिवासी क्षेत्र मास्कवासिस में आये थे जहां विवादित स्कूल मौजूद था। इस स्कूल को 1975 में बंद कर दिया गया था।
आपको बता दें कि वर्ष 1800 से 1990 तक, कनाडा की सरकार ने लगभग 150,000 बच्चों को चर्च द्वारा संचालित 139 आवासीय विद्यालयों में भेजा था। इस दौरान बच्चों को उनकी भाषा, संस्कृति और परिवार से बिलकुल अलग कर दिया गया था। चर्च के स्कूलों में आदिवासी बच्चों के साथ हुए अत्याचारों में हजारों बच्चों की मृत्यु हो गई थी। कई बच्चों के साथ यौन शोषण भी किया गया था। पोप के कार्यक्रम के दौरान लोगों ने एक 50 मीटर लंबा बैनर लिया हुआ था जिसमें 4 हज़ार से अधिक मारे गए बच्चों के नाम दर्ज थे।