गठिया रोग को आयुर्वेद में वातरक्त कहते हैं।इस रोग में प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म की विकृति का परिणाम हैं इसमें यूरिक एसिड की वृद्धि हो जाती हैं और संधिशोथ और संधियों में सोडियम बायींयुरेट के संचय होने के विशिष्ठ लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं।गठिया या वातरक्त रोग का स्थान अधिकांश हाथ।पैर ,अँगुलियों और सभी जोड़ों में होता हैं।सबसे पहले हाथ पैर के बाद सभी अंगों को प्रभावित करता हैं।
यह रोग हमारे खान पान से सबसे अधिक प्रभावित रहता हैं। इसमें हमारा आहार ,दिन चर्या का प्रभाव पड़ता हैं।
जोड़ों में सूजन आना और हाथ-पैर के जोड़ों में तेजदर्द होना ये है गठिया रोग के लक्षण। यूं तो अर्थराइटिस को बुजुर्गो की लाइलाज बीमारी मानी जाती है, लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत होगा। आजकल यह बीमारी 30 से 45 साल के लोगों को भी होता है। यदि आप अर्थराइटिस या गठिया इसके आहार के बारे में… पथ्य
1 ब्रोकोली हरी फूल गोभी
ब्रोकोली एक ऐसी पौष्टिक हरी सब्जी है जिसे हर किसी को खाना चाहिए। यह न केवल शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकालत है बल्कि आपकी त्वचा को भी सही रखता है। नियमित रूप से ब्रोकोली का सेवन करने से बढ़ते गठिया के खिलाफ यह काम करता है।
2 गठिया की दवा ओमेगा-3 फैटी एसिड
ओमेगा-3 फैटी एसिड के पास अपने एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से संबंधित विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड आपके शरीर और मस्तिष्क के लिए अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं। कई शोधों से पता चलता है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड शरीर में सूजन को रोकने और गठिया से जुड़े लक्षणों को कम कर सकता है। इसके लिए आपको ,पुराने जौ,गेंहू , अनाज, और अखरोट को खाना चाहिए।
3 अर्थराइटिस का इलाज विटामिन डी
विटामिन डी को कभी-कभी “सनशाइन विटामिन” कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य की रोशनी के जवाब में आपकी त्वचा में उत्पन्न होता है। यदि आप सूरज में पर्याप्त समय नहीं बिताते हैं तो आपके शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाएगी। जो लोग अपने आहार में विटामिन डी को शामिल करते हैं वह गठिया के विकास को रोक सकते हैं। सूरज के अलावा कुछ डेयरी उत्पादों, संतरे का रस, सोया दूध और अनाज विटामिन डी की कमी को पूरा करते हैं।
4 गठिया के लिए खाएं जैतून का तेल
मधुमेह, हृदय समस्याओं, गठिया, उच्च कोलेस्ट्रॉल, वजन घटाने, चयापचय, पाचन के लिए उपचार जैतून का तेल बहुत ही फायदेमंद है। अपने एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के चलते जैतून का तेल गठिया रोग में बहुत ही लाभकारी है।
5 गठिया रोग का उपचार अदरक
अदरक का उपयोग सर्दी, मितली, सिरदर्द, और उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए हजारों वर्षों से किया जा रहा है। इसके अलावा अदरक गठिया के लिए सबसे अच्छा उपाय है। अदरक के इंफ्लेमेटरी गुणों रुमेटी गठिया में दर्द से राहत देने का काम करता है।
6 विटामिन सी
विटामिन सी ऊतकों की मरम्मत और पुनर्जीवित करने में मदद करता है। यह हृदय रोग से बचाव और स्कर्वी रोग को रोकने में मदद करता है। एक अध्ययन के मुताबिक, विटामिन सी के अधिक सेवन में रूमेटॉयड गठिया के विकास के जोखिम में 30 प्रतिशत तक कमी की जा सकती है।
7 एंथोसायनिन
एंटीऑक्सिडेंट को ही हम एंथोसायनिन के नाम से जानते हैं। इसके कई स्वास्थ्य लाभ है। एंथोसायनिन लाल-नीले रंग के पौधों के एक बहुत बड़े समूह हैं। चेरी, ब्लैकबेरी, रास्पबेरी, स्ट्रॉबेरी, अंगूर और बैंगन ये सभी एंथोसायनिन के स्रोत हैं। इनका नियमित सेवन कीजिए गठिया रोग में आपको बहुत ही फायदा मिलेगा।
8 बीटा-क्रिप्टोक्सैथिन
बीटा-क्रिप्टोक्सैथिन कैरोटीनॉइड परिवार का एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। बीटा-क्रिप्टोक्सैथिन एक आम कैरोटीनॉयड है जो फल में पाए जाते हैं। बीटा-क्रिप्टोक्सैथिन विटामिन ए का एक प्रमुख स्रोत है। यह गाजर में पाए जाने वाले पोषक तत्व है और इससे गठिया को रोकने में मदद मिल सकती है। जो बीटा क्रिप्टोक्सैथिन युक्त अधिक खाद्य पदार्थों का सेवन करता है वह गठिया से ज्यादा सुरक्षित रह सकता हैं
ब्रिटेन के एक रिसर्च के मुताबिक शरीर में अधिक वसा से सूजन में वृद्धि का काम करता है। इससे आपके जोड़ों में दर्द की समस्या उत्पन हो सकती है जिसे हम गठिया कहते हैं। ऐसा देखा गया है कि कई लोगों का गठिया समय के साथ बढ़ता है, तो कई लोगों में गठिया छोटी उम्र में ही होता है। अगर आप भी गठिया रोग से पीड़ित हैं तो जाने गठिया में परहेज के बारे में , नीचे दिए गए इन आहार का सेवन मत कीजिए।
गठिया में परहेज अपथ्य
1 रेड मीट
अगर आप रेड मीट का सेवन करते हैं, तो उससे भी गठिया का दर्द बढ़ सकता है। इसमें एरेक्इडोनिक एसिड नामक एसिड अपेक्षाकृत उच्च स्तर में होते हैं, जो दर्द और सूजन को बढ़ा सकते हैं। इसलिए इसे ज्यादा खाने से बचें। इसके अलावा गठिया रोग में मछली का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें सालमन या टूना मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो अर्थराइटिस के दर्द को बढ़ा सकते हैं। दरअसल मछली में प्यूरिन नामक एसिड पाया जाता है, जो शरीर में यूरिक एसिड पैदा करता है।
2 फ्राइड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से बचें
गठिया में परहेज के बात करें तो गठिया रोग में फ्राइड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ किसी भी तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें। विशेष रूप से वे वनस्पति तेलों में तले हुए होते हैं, जो फैटी एसिड में उच्च होते हैं। जैतून का तेल सामान्य वनस्पति तेलों में थोड़ा बेहतर विकल्प है।
3 सुगर ड्रिंक न करें सेवन
सुगर ड्रिंक का सेवन सेहत के लिए नुकसान दायक है इसलिए गठिया रोग में भी इसका सेवन न करें। ये सूजन को बढ़ा सकते हैं। आप इसकी जगह शुद्ध पानी और हर्बल चाय और फलों का रस पी सकते हैं। ध्यान दीजिए आप गठिया रोग में संतरे का जूस कभी न पीएं।
4 डेयरी प्रोडक्ट
डेयरी उत्पादों में प्रोटीन होने की वजह से गठिया दर्द में योगदान दे सकते हैं। पनीर और बटर ये कुछ ऐसे दुग्ध उत्पाद है, जिनमें प्रोटीन होता है जो जोड़ों के आसपास मौजूद उत्तको को प्रभावित करते हैं। यह जोड़ों के दर्द को बढ़ाने का काम करते हैं।
5 कॉफी
कॉफी पीना आपकी आदत है, तो गठिया रोग में इससे दूरी बना लें। आपको बता दें कि कॉफी गठिया में सूजन को बढ़ा सकता है। कॉफी की जगह हरी चाय और हर्बल चाय एक बेहतर विकल्प है।
6 शराब और तंबाकू
शराब, पान मसाला और तंबाकू ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिससे लीवर और फेफड़े को बहुत ही नुकसान होता है। तंबाकू और अल्कोहल का उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा कर सकता है, जिनमें कुछ आपके जोड़ों को प्रभावित करने वाले हैं। धूम्रपान करने वालों को संधिशोथ के विकास का अधिक खतरा होता है इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखना चाहिए।
7 कम नमक का सेवन
जिन खाद्य पदार्थ में नमक ज्यादा हो उस खाद्य पदार्थ को गठिया से पीड़ित लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। नमक के अतिरिक्त इस्तेमाल से आपको जोड़ों की सूजन हो सकती है। इसलिए कम मात्रा में नमक का सेवन कीजिए।
8 खट्टे फल
विटामिन सी से भरपूर खट्टे फल वैसे तो सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी होते हैं, लेकिन गठिया रोग में इनका सेवन नहीं करना चाहिए। यह जोड़ों के दर्द में वृद्दि कर सकता है।
9 टमाटर का न करें सेवन
अम्ल पित्त, सूजन और पथरी के मरीजों को टमाटर नहीं खाना चाहिए यह भी गठिया में परहेज के रूप में काम करेंगे। इसके अलावा जिन्हें अर्थराइटिस या गठिया रोग की बीमारी है उन्हें भी टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए। टमाटर में रासायनिक घटक पाए जाते हैं जो गठिया के दर्द को बढ़ाकर जोडों में सूजन पैदा करता है।
दिवास्वप्नं ससंताप व्यायामं मैथुनम तथा ! कटुषणम गुरवभिष्यन्दि लवणाम्लम च वर्जयेत !!
इसके अलावा दिन में सोना ,आग के सामने बैठने ,व्यायाम तथा कटु रस वाले उष्ण ,गुरु कफकारक अन्न का सेवन ,नमक और अम्ल रस युक्त आहार का परित्याग करना चाहिए।
वातरक्तांतक रस गुडुची स्वरस और शहद से लेने पर लाभकारी हैं।