लखनऊ । जिन्दगी एक सफर है! एक अकल्पनीय यात्रा, जिसमें अनदेखे मोड़ आते हैं, जो आपके जीवन को हमेशा के लिये बदल सकते हैं। लेकिन आप अपने दोस्घ्तों की मदद से इससे उबर सकते हैं, । वूट की बिलकुल नई पेशकश ‘ ख्वाबों के परिंदे’ आपको उम्घ्मीद, जिन्दगी की नई तलाश और एक-दूसरे का सच्चा साथी बनने के सफर पर ले जाएगी। तीन दोस्घ्त बिंदिया, दीक्षित और मेघा अपने जख्घ्मों को भुलाने, प्यार की तलाश और अपने सबसे बड़े डर से लड़ने के लिये मेलबर्न से पर्थ की एक रोड़ ट्रिप पर जाते हैं।यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न से पोस्घ्ट-ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद, मस्घ्तीखोर बिंदिया अपने दो सबसे भरोसेमंद दोस्घ्तों को मेलबर्न से पर्थ तक के एक जोशीले और मौज-मस्ती भरे ट्रिप पर साथ आने के लिये मनाती है। यह ट्रिप बिंदिया के लिये सब-कुछ है, क्घ्योंकि भारत आकर जिम्मेदारियां को बोझ लेने से पहले खुली हवा में जिन्दगी का मजा लेने का उसका यह आखिरी मौका हो सकता है।पहले निभाये गये किरदारों से क्या अलग क्घ्या है और सच्घ्ची दोस्घ्ती के दिनों को याद करते हुए, आशा नेगी कहती हैं, ‘’वाबों के परिंदे’ जिन्दगी और उम्मीद का सफर है, लेकिन कभी-कभी आपको अपनी नई तलाश करने के लिये करीबी दोस्घ्तों की जरूरत होती है। इस शो में मेरा किरदार बेहद मस्तीखोर बिंदिया का है, जो हर दिन जिन्घ्दगी को गले लगाने में यकीन रखती है। जब आप इस तरह के किसी शो के लिये शूटिंग करते हैं, आपको अपने बेस्ट फ्रेंड्स के साथ बिताये गये पल याद आ जाते हैं और ऐसा मेरे साथ भी हुआ। हालांकि, बीतते समय के साथ मृणाल, मानसी, तुषार और मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी। हम सिर्फ को-स्टार्स नहीं रह गये, बल्कि अच्घ्छे दोस्त बन गये, जिसकी वजह से यह सफर और रोमांचक हो गया। इस शो की शूटिंग ने मुझे सच्ची दोस्ती की अहमियत समझायी और मैंने जाना कि दोस्तों के साथ रहना क्यों जरूरी है। उनके सामने आपको सच ही बोलना पड़ता है और वे आपको राज और डर का सामना करने और फिर उनसे बाहर निकलने में भी मदद करते हैं।‘’
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