मांग और आपूर्ति में अन्तर से चिकन के दाम बढ़े

जौनपुर। बेतहाशा गर्मी का असर कुक्कुट पालन पर भी पड़ा है। गर्मी के कारण चूजों की ग्रोथ रेट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विकास खंड मछलीशहर की ग्राम पंचायत बामी में काफी संख्या में पोलेट्री फार्म महीनों से खाली पड़े हैं क्योंकि गर्मी के कारण चूजों की डेथ रेट ऊंची चल रही है।जो फार्म रनिंग में हैं उनमें भी क्षमता से काफी कम संख्या में चूज़े डाले गये हैं। गांव के पोलेट्री फार्म चलाने वाले अभिमन्यु प्रताप सिंह कहते हैं कि उनके फार्म की क्षमता 2500 से 3000 चूजों की है किन्तु उन्होंने मात्र 1700 चूजे डाल रखे हैं जिससे उन्हें पर्याप्त खाली जगह मिल सके और चूजों पर गर्मी का कम से कम -कम प्रभाव पड़े। गर्मी के चलते चूजों की ग्रोथ रेट भी घट गई है।30 से 40 दिनों के बीच ब्रायलर प्रजाति के मुर्गे जो 1 से 1.5 किलोग्राम तक हो जाया करते थे । भीषण गर्मी के चलते उनका वजन 30 से 40 दिनों में एक किलोग्राम का होना भी मुश्किल हो रहा है। गांव बामी के ही फार्म चलाने वाले हरिओम गौड़ कहते हैं कि गर्मी के मौसम में चूजों की ग्रोथ रेट बनाय रखने के लिये फार्म की कूलिंग के लिए बहुत सारे आधुनिक संसाधन बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन उनको फार्म में लगाने के लिये ऊंची पूंजी की आवश्यकता होती है जो ग्रामीण स्तर पर छोटे- छोटे फार्म चलाने वाले किसानों के लिये बहुत कठिन है और सारी व्यवस्था करने पर बिजली का बिल बढ़ जाता है जिससे उत्पादन लागत में वृद्धि हो जाती है। किसान पोलेट्री फार्म का संचालन या तो निजी जोखिम पर करते हैं या तो किसी फर्म या कम्पनी की जोखिम पर करते हैं जब वे ऐसा कम्पनी की जोखिम पर करते हैं, उन्हें प्रति किलोग्राम की दर से पूर्वनिश्चित सीमित मात्रा में ही लाभ मिलता है लेकिन जोखिम से वे बचें भी रहते हैं।अब अगर हम मांग पक्ष को देखे तो शादी -विवाह के चलते मेहमानों की खातिरदारी के लिए चिकन की मांग में उछाल पिछले तीन चार महीने से लगातार बना हुआ है जिस कारण से स्थानीय बाजारों में सबसे सस्ती दर पर बिकने वाली ब्रायलर प्रजाति के मुर्गों का चिकन जो फरवरी से पूर्व 160 से 180 प्रति किलोग्राम था वह 220 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा है। न केवल चिकन बल्कि स्थानीय बाजारों में अण्डे के दामों में भी इजाफा हुआ है।फरवरी में 7 रुपये में बिकने वाला उबला अण्डा वर्तमान में 9 रुपए प्रति अण्डे की दर से बिक रहा है। मानसून की देरी के चलते पारे में गिरावट आने के बाद ही चिकन के दामों में गिरावट आने की सम्भावना है।चिकन की डिमांड के सटीक आंकड़े तो नहीं उपलब्ध हैं किन्तु बीते मई माह में उत्तर प्रदेश में रिकार्ड 12 अरब 57 करोड़ की मात्र बीयर बिकी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चिकन की मांग पिछले महीने में कितनी ऊंची रही है।