ओरन में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का हुआ वर्णन : श्रोताओं की उमड़ी भीड़

बांदा।ओरन नगर पंचायत के प्रसिद्ध तिलहर माता मंदिर में भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। चौथे दिन कथा वक्ता आचार्य शशिकांत त्रिपाठी ने भक्तों को श्रीकृष्ण जन्म के सुंदर प्रसंग का वर्णन किया। श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया।कथा व्यास आचार्य पंडित शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि कंस ने अत्याचार से युक्त शासन किया। उसने अभिमान और अनीतिपूर्वक राज करने के लिए अपने पिता उग्रसेन को बंदी बना लिया था। आकाशवाणी से अपनी मृत्यु का संकेत पाकर उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को बंदी बनाकर कारागार मे डाल दिया। वहां एक-एक कर उनके छह पुत्रों की हत्या कर दी।कहा कि सातवें गर्भ में खुद शेषनाग के आने पर योग माया ने उनके देवकी के गर्भ से निकाल कर वासुदेव की पहली पत्नी रोहणी के गर्भ मे स्थापित कर दिया। भगवान ने आठवीं संतान के रूप मे जन्म लिया। इस दौरान बालकृष्ण को कंस के कारागार से नंद बाबा के घर ले जाने की झांकी भी प्रस्तुत की गई।कथा में पं. शशिकांत त्रिपाठी ने रसास्वादन करवाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी को रात्री12 बजे रोहिणी नक्षत्र मे हुआ। भगवान कृष्ण ने संसार को अंधेरे से प्रकाश में लाने के लिए जन्म लिया और अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रुपी प्रकाश से दूर किया।कथावाचक ने बताया कि उधर गोकुल में कृष्ण के जन्म पर बधाइयों का दौर शुरू हो जाता है जिसमें चौरासी कोस ब्रज को आमंत्रित किया जाता है। कथा स्थल पर इस मौके पर ब्रज में हो रही जय जयकार नंद घर लाला आयो है। भजन पर सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने नृत्य किया।उन्होंने कहा कि हर मां की ख्वाहिश होती है कि उसकी संतान संस्कारवान हो। वह राम जैसा आज्ञाकारी हो उनके जैसी मर्यादा का पालन करने वाला हो लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि जननी मां को भी कौशल्या जैसा बनना पड़ेगा। पंडित राम नरेश आचार्य,गायक ओंकार सिंह ने सोहर गाकर भगवान का स्वागत किया।