नई दिल्ली । पिछले वित्त वर्ष में मारुति सुजुकी इंडिया ने भारतीय रेलवे की मदद से लगभग 2.33 लाख यूनिट्स शिप की थी। यह मारुति सुजुकी का अब तक का सबसे बड़ा डिस्पैच है। इस बारे में कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मारुति सुजुकी के डिस्पैच में पिछले साल 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार मारुति सुजुकी ने पिछले आठ वर्षों में रेलवे के माध्यम से लगभग 11 लाख वाहनों का परिवहन किया है, जिससे 4,800 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में मदद मिली है। सड़क परिवहन से इस प्रक्रिया को पूरा करने में 1,56,000 ट्रक ट्रिप लगतीं और 174 मिलियन लीटर फ्यूल खर्च होता। ऐसे में भारतीय रेलवे का इस्तेमाल करके मारूती सुजुकी ने ग्रीनहाउस उत्सर्जन कम करने में मदद की है। इस संबंध में मारुति सुजुकी ने कहा कि वह अपने वाहनों को भेजने के लिए रेल परिवहन के उपयोग को बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे के साथ काम कर रही है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक राहुल भारती ने कहा कि रेलवे लॉजिस्टिक्स कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और सड़क पर भीड़ को कम करने की क्षमता प्रदान करता है। पिछले कुछ वर्षों में हमने अपने कारखाने से रेलवे का उपयोग करने वाले डीलरों के लिए कार डिस्पैच की हिस्सेदारी को जानबूझकर बढ़ाया है।भारती ने आगे कहा कि ऑटोमेकर रेल परिवहन में मौजूदा 15 प्रतिशत के शेयर को और अधिक बढ़ाएगा। इसने कंपनी को रेलवे के नेटवर्क पर हाई स्पीड, हाई कैपेसिटी वाले ऑटो-वैगन रेक बनाने और संचालित करने की अनुमति दी। वर्तमान में ऑटोमेकर के पास 41 रेलवे रेक हैं। हर रेक में 300 से अधिक वाहनों रखने की क्षमता है।उन्होंने कहा कि हम शेयर को और बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। इसके लिए हमने हंसलपुर और मानेसर में रेलवे साइडिंग पर मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के लिए गुजरात और हरियाणा की सरकारों के साथ हाथ मिलाया है। बता दें कि मारुति सुजुकी इंडिया 2013 में ऑटोमोबाइल फ्रेट ट्रेन ऑपरेटर लाइसेंस प्राप्त किया था। वह एएफटीओ लाइसेंस हासिल करने वाली भारत की पहली ऑटोमोबाइल निर्माता थी।
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