लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तर प्रदेश की विधायिका के गौरवशाली इतिहास का जिक्र करते हुए सोमवार को विधान मंडल के दोनों सदनों के सदस्यों से सदन में अतीत की कुछ अमर्यादित घटनाओं को अपवाद के रुप में भुलाकर स्वस्थ राजनीतिक परंपराओं को मजबूत बनाने का आह्वान किया है।राष्ट्रपति कोविंद ने विधान मंडल के दोनों सदनाें की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश विधान मंडल में सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच गरिमापूर्ण सौहार्द्र का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने कहा, “कभी कभार इस समृद्ध परंपरा के विपरीत जो अमर्यादित घटनायें हुयी हैं उन्हें अपवाद के रूप में भुलाने का प्रयास करते हुए आप सबको उत्तर प्रदेश की स्वस्थ राजनीतिक परंपरा को और अधिक मजबूत बनाना है।”उन्होंने विधायकों को नसीहत देते हुए कहा, “लोकतंत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष की विचारधाराओं में अंतर हो सकता है, परंतु दोनों पक्षों में वैमनष्य नहीं होना चाहिये।” इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, विधान परिषद के सभापति कुंअर मानवेन्द्र सिंह, विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, राज्य के मुुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव मौजूद थे।इस दौरान राष्ट्रपति नेे विधायकों से जनता की लगातार बढ़ती अपेक्षाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विधान मंडल, लोकतंत्र का मंदिर होता है। जनता आपको अपना भाग्यविधाता मानती है। प्रदेश की जनता को आप सभी से बहुत सी उम्मीदें और अपेक्षायें हैं और इन अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही आप सभी का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है।राष्ट्रपति कोविंद ने विधायकों से जनसेवा के दौरान जनता के साथ किसी तरह का भेदभाव न करने की भी अपील की। उन्होंने कहा, “आपकी जनसेवा के दायरे में सभी नागरिक शामिल हैं, चाहे उन्होंने आपको वोट दिया हो या ना दिया हो। इसलिये हर व्यक्ति के हित में कार्य करना आपकी जिम्मेदारी है।” राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, “मैं यह भी कहना चाहूंगा कि अपनी संवैधानिक शपथ के अनुसार अाप सभी अपने अपने क्षेत्रों के अलावा पूरे प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश के लिये कार्य करने हेतु वचनबद्ध हैं। मुझे विश्वास है कि आप सभी के अथक परिश्रम से उप्र शीघ्र ही उत्तम प्रदेश बनेगा।”इससे पहले राष्ट्रपति ने विधान मंडल के दोनों सदनों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने देश को पहली महिला प्रधानमंत्री, पहली महिला मुख्यमंत्री और पहली महिला राज्यपाल दी हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधान सभा में अब तक की सर्वाधिक 47 महिला सदस्य चुनी गयी है। यह कुल सदस्य संख्या का 12 प्रतिशत है। इसी प्रकार विधान परिषद में पांच प्रतिशत महिला सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की इस प्रदेश में व्यापक संभावनायें हैं। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में उत्तर प्रदेश विधान मंडल के इतिहास का स्मरण कर आगे बढ़ते हुए विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के प्रयास किये जाने चाहिये।इस दौरान राष्ट्रपति ने देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और सिद्धांत की राजनीति के परिचायक बने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से लेकर चंद्रशेखर तक उत्तर प्रदेश की ही देन हैं। उन्हाेंने देश की विकासयात्रा में पं नेहरू से लेकर राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तथा प्रदेश के चहुंमुखी विकास में पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव आैर मायावती के योगदान काे भी याद किया।इस अवसर पर राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के क्रांतिवीरों का भी जिक्र करते हुए कहा कि अभी भी तमाम ऐसे भूले बिसरे आजादी के गुमनाम परवाने हैं, जिनके शौर्य एवं पराक्रम को वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों के सामने प्रस्तुत करना शेष है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का इतिहास ऐसे क्रांतिवीरों से भरा पड़ा है, जिसे शिक्षण संस्थाओं द्वारा पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर समाज मेंं उचित स्थान दिया जाना चाहिये।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post