नई दिल्ली। देश की प्रतिष्ठित वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने फोर्ड इंडिया के साणंद संयंत्र का अधिग्रहण करने के लिए गुजरात सरकार के साथ एमओयू साइन किया है। कंपनी ने सोमवार को कहा कि उसकी सहयोगी टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (टीपीईएमएल) ने फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफआईपीएल) की साणंद वाहन विनिर्माण इकाई के अधिग्रहण के लिए गुजरात सरकार के साथ करार किया है। टाटा मोटर्स ने शेयर बाजारों को बताया कि टीपीईएमएल और एफआईपीएल ने गुजरात सरकार के साथ आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एफआईपीएल की साणंद वाहन विनिर्माण इकाई के संभावित अधिग्रहण से संबंधित है। इसमें भूमि, इमारतों, वाहन विनिर्माण इकाई, मशीनरी और उपकरणों का अधिग्रहण शामिल है।इसमें एफआईपीएल साणंद वाहन विनिर्माण परिचालनों के सभी पात्र कर्मचारियों का स्थानांतरण भी शामिल है। हालांकि यह करार और संबंधित मंजूरियों पर निर्भर करेगा। कंपनी ने कहा कि इस समझौते के बाद अब टीपीईएमएल और एफआईपीएल के बीच अगले कुछ हफ्तों में निश्चित लेनदेन समझौते होंगे। टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हिकल्स लिमिटेड और टीपीईएमएल के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘एक दशक से भी अधिक समय से टाटा मोटर्स की गुजरात में मजबूत उपस्थिति है। साणंद में उसकी अपनी विनिर्माण इकाई है। इस समझौते से और रोजगार व कारोबारी अवसरों का सृजन होगा जो राज्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा।’इस खबर के बाद टाटा मोटर के शेयरों में अच्छी खासी तेजी देखने को मिली। आज सोमवार को बीएसई पर टाटा मोटर्स के शेयर 2.96 प्रतिशत यानी 12.70 अंक चढ़कर 442.30 पर बंद हुए। एक्सपर्ट इसमें और भी अपसाइड देख रहे हैं। फोर्ड इंडिया का साणंद संयंत्र टाटा मोटर्स को प्रति वर्ष 2,40,000 अतिरिक्त इकाइयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा। इसके मौजूदा तीन संयंत्रों में 4,80,000 यूनिट प्रति वर्ष उत्पादन करने की क्षमता है। क्षमता वृद्धि से टाटा मोटर्स को काफी फायदा होगा। कंपनी के पास पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भारी ऑर्डर बुकिंग है। इस अधिग्रहण से निश्चित रूप से उन्हें बड़ी मदद मिलेगी। भारतीय कार बाजार में टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से कुछ अधिक है। कंपनी दक्षिण कोरियाई ऑटो प्रमुख हुंडई के पीछे तीसरे स्थान पर है, जिसकी हिस्सेदारी सियाम के अप्रैल 2022 के आंकड़ों के अनुसार 15 प्रतिशत है। चिप की कमी और उपभोक्ता प्रवृत्तियों में बदलाव के बीच, विशेष रूप से पिछले कुछ महीनों में भारत के दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले कार निर्माताओं के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
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