नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल ग्रह भेजने के पहले मिशन की कवायद शुरू

वॉशिंगटन। अमेरिका की अंतरिक्ष संस्था नासा ने अब औपचारिक रूप से मंगल ग्रह पर अपने पहले मिशन की परिकल्पना शुरू कर दी है। इस मिशन में नासा ने अपने स्टाफ समेत शिक्षाविदों और अंतर्राष्ट्रीय व उद्योग भागीदारों से इनपुट मांगना शुरू कर दिया है। नासा के डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर पाम मेलरॉय ने हाल ही में एक वर्कशॉप में कहा कि हम इस ब्लूप्रिंट को डेवलप करेंगे, और मंगल ग्रह पर जाने से पहले चंद्रमा पर इसकी प्रैक्टिस करेंगे। काम शुरू करने के लिए, नासा ने 50 लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन पर वे इनपुट मांग रहे हैं। उन्होंने इस मिशन की रूपरेखा भी बनाई है। इस मिशन के मुताबिक, मंगल ग्रह की सतह पर 30 दिन बिताए जाएंगे। कम से कम क्षमताओं के साथ ऐसा करने के लिए नासा इनपुट मांग रहा है। इस कॉन्सेप्ट में एक पहले से भेजा गया कार्गो लैंडर होगा जिसका वजन 25 टन होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब अंतरिक्ष यात्री वहां उतरें, तो उनके पास व्यवस्था हो। पहले से भेजा गया क्रू एसेंट व्हीकल भी उतना ही ज़रूरी है, जिससे नासा और एस्ट्रोनॉट्स आश्वस्त हो सकें कि वे इसी से पृथ्वी पर वापस लौटेंगे।नासा अपोलो मिशनों की तरह काम नहीं करना चाहता जिसमें मनुष्य जल्दी-जल्दी एक के बाद एक 6 बार चंद्रमा पर उतरे थे और इसके बाद 50 साल तक कुछ नहीं हुआ। एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जिम फ्री का कहना है कि हम हर साल मिशन करना चाहते हैं। इसलिए हम विज्ञान और अपने सिस्टम का पूरा फायदा उठाना चाहते हैं। इस ब्लूप्रिंट में दो क्रू मेंबर को ऑर्बिट में रहने और दो को मंगल की सतह पर उतारने की योजना बनाई गई है। इससे पहले एक रोबोट मिशन की भी योजना है जो मंगल की सतह से नमूने लेकर आएगा। जिससे नासा उन परिस्थितियों के बारे में जान पाएगा जिनका सामना क्रू मेंबर्स को मिशन के समय करना होगा। पृथ्वी और मंगल की कक्षाओं का नेचर इस तरह का है कि अगर एस्ट्रोनॉट्स वहां ज्यादा समय तक रहते हैं, तो उनके वापस आने में उतनी ही देरी और परेशानियां आएंगी। इसके लिए उन्हें 500 दिनों से ज्यादा समय का इंतज़ार करना होगा, जब तक कि दोनों ग्रह एक बार फिर से एलाइन नहीं हो जाते। जिम फ्री का कहना है कि सौर मंडल में भविष्य की गतिविधियों के लिए हम डेमो कर रहे हैं।