कैम्ब्रिज। खराब नींद लोगों के मूड और व्यवहार को प्रभावित करती है, चाहे वे छोटे शिशु हों या बड़े वयस्क। तो हमारे मस्तिष्क को लंबी अवधि में ठीक से काम करने के लिए कितनी नींद की आवश्यकता होती है? एक ताजा अध्ययन में इस सवाल का जवाब खोजने का प्रयास किया गया। मस्तिष्क के सामान्य कामकाज को बनाए रखने के लिए नींद एक महत्वपूर्ण घटक है। नींद के दौरान मस्तिष्क खुद को पुनर्गठित और रिचार्ज करता है। साथ ही जहरीले अपशिष्ट उपोत्पादों को हटाने और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए, नींद ‘‘यादें संजाए रखने’’ के लिए भी महत्वपूर्ण है, नींद के दौरान हमारे अनुभवों के आधार पर नए मेमोरी सेगमेंट दीर्घकालिक स्मृति में स्थानांतरित हो जाते हैं।नींद की एक इष्टतम मात्रा और गुणवत्ता हमें अधिक ऊर्जा और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। यह हमें हमारी रचनात्मकता और सोच को विकसित करने में भी मदद देती है। तीन से 12 महीने की उम्र के बच्चों को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया है कि बेहतर नींद जीवन के पहले वर्ष में बेहतर व्यवहार परिणामों से जुड़ी होती है, जैसे कि नई परिस्थितियों के अनुकूल होने या भावनाओं को कुशलता से नियंत्रित करने में सक्षम होना। यह ‘‘संज्ञानात्मक लचीलेपन’’ (आसानी से परिप्रेक्ष्य बदलने की हमारी क्षमता) सहित अनुभूति के लिए महत्वपूर्ण प्रारंभिक निर्माण खंड हैं, और बाद के जीवन में हमारे बेहतर स्वास्थ्य से जुड़े होते हैं।ऐसे संकेत हैं कि, किशोरों और युवा वयस्कों में, इस नेटवर्क के भीतर कनेक्टिविटी में बदलाव के साथ खराब नींद को जोड़ा जा सकता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि किशोरावस्था और शुरुआती युवा वयस्कता में हमारा दिमाग अभी भी विकास के क्रम में हैं। इसलिए इस नेटवर्क में व्यवधान का अनुभूति पर प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि एकाग्रता और स्मृति-आधारित प्रसंस्करण में हस्तक्षेप, साथ ही साथ अधिक उन्नत संज्ञानात्मक प्रसंस्करण। नींद के पैटर्न में बदलाव, जिसमें नींद आने और लम्बे समय तक सोने में कठिनाई शामिल है, उम्र बढ़ने की प्रक्रिया की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। ये नींद की गड़बड़ी वृद्ध लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट और मानसिक विकारों का एक बड़ा कारण होती है। हमारे अध्ययन का उद्देश्य नींद, अनुभूति और बेहतर स्वास्थ्य के बीच की कड़ी को बेहतर ढंग से समझना था। हमने पाया कि अपर्याप्त और अत्यधिक नींद दोनों ने यूके बायोबैंक के लगभग 500,000 वयस्कों के संज्ञानात्मक प्रदर्शन को प्रभावित करने में योगदान दिया। इस शोध में मध्यम आयु वर्ग से वृद्धावस्था के लोगों को शामिल किया गया था। हालांकि, हमने बच्चों और किशोरों का अध्ययन नहीं किया, और चूंकि उनके दिमाग का विकास हो रहा है, इसलिए उनके लिए नींद की आवश्यक अवधि अलग हो सकती है। मालूम हो कि हम में से ज्यादातर लोगों को अगर रात में ठीक से नींद न आए तो कुछ भी सोचने में परेशानी होती है-कुछ अनमना सा महसूस होता है और इसका स्कूल, विश्वविद्यालय या काम में हमारे सामान्य कामकाज पर असर पड़ता है। आप महसूस करेंगे कि कम सोने से आप कहीं भी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं या आपकी याद्दाश्त आपका साथ छोड़ने लगती है।
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