बांदा।खनन से बालू कंपनियां तो लगातार मालामाल हो रहीं परंतु खनिज विभाग कंगाल हो रहा है। खनिज विभाग के आंकड़े खुद इसके गवाह हैं। रात-दिन बड़े पैमाने पर बालू का खनन और ओवर लोडिंग के बावजूद खनिज विभाग को अपना लक्ष्य पूरा करने में मशक्कत करनी पड़ रही हैं। फिर भी यह लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा और निरंतर साल-दर-साल गिरावट आ रही है। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष मार्च माह में बालू से आने वाली रॉयल्टी (राजस्व) में 1.08 अरब रुपये की कमी आई है। अन्य सभी मदों में भी खनिज विभाग को करीब 97 करोड़ का घाटा हुआ है।लगभग डेढ़ दर्जन खदानों में पट्टाधारक कंपनियां रात-दिन भारी-भरकम मशीनों से वैध-अवैध खनन में जुटी हुई हैं। अक्सर प्रशासन की टीमें इसकी धरपकड़ भी कर रही हैं। कंपनियों की आमदनी लगातार बढ़ रही है।दूसरी तरफ खनिज विभाग को अपना राजस्व लक्ष्य भी पूरा करने के लाले हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष मार्च तक खनिज विभाग ने अपनी कार्रवाइयां ज्यादा कीं फिर भी रॉयल्टी और अन्य राजस्व कम आया। बीते वर्ष 2020-21 में बालू की रॉयल्टी से दो अरब 88 करोड़ 62 लाख 70 हजार 553 रुपये मिले थे। इस वर्ष यह घटकर एक अरब 80 करोड़ 40 लाख 59 हजार 650 रुपये रह गई।खनिज विभाग को अवैध खनन, जुर्माना और अन्य मदों की आमद में घाटा हुआ है। पिछले साल मार्च तक दो अरब 96 करोड़ 72 लाख 23 हजार 301 रुपये राजस्व जुटाया था। इस वर्ष यह घटकर एक अरब 99 करोड़ 72 लाख 9 हजार 942 रुपये रह गया है। लगभग 97 करोड़ राजस्व कम आया है। उधर, खनिज विभाग का वार्षिक लक्ष्य चार अरब रुपये है, लेकिन मार्च तक 50 फीसदी ही हो पाया है। खनिज अधिकारी का कहना है कि लक्ष्य पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। जिलाधिकारी के निर्देशन में अवैध खनन और ओवर लोडिंग पर लगातार कार्रवाई चल रही है।जनपद की केन, यमुना, बागै आदि नदियों से भारी पैमाने पर हो रहे खनन और पट्टों के बावजूद बालू में खनिज विभाग की रॉयल्टी घट रही है। दूसरी तरफ पहाड़ों से तोड़े जाने वाले पत्थर (गिट्टी) की रॉयल्टी में वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष पत्थरों से दो करोड़ 91 लाख 86 हजार 527 रुपये मिले थे। इस वर्ष मार्च तक यह बढ़कर सात करोड़ 30 लाख 37 हजार 767 रुपये हो गए हैं। 4 करोड़ 38 लाख 51 हजार 240 रुपये का इजाफा हुआ है। खनिज विभाग ने समन (जुर्माना) में भी इस साल ज्यादा राजस्व कमाया है। बीते वर्ष यह तीन करोड़ 50 लाख 57 हजार 90 रुपये था। इस वर्ष मार्च तक आठ करोड़ 50 लाख 93 हजार 432 रुपये समन वसूला गया।
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