गर्मी के मौसम में बुखार की अनदेखी करना ठीक नहीं होता। इसमें अगर अगर बुखार 102 डिग्री तक है तो मरीज के शरीर पर सामान्य पानी की पट्टियां रखें। पट्टियां तब तक रखें, जब तक शरीर का तापमान कम न हो जाए। अगर इससे ज्यादा तापमान है तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। मरीज को ठंडी जगह पर रखें। कई लोग बुखार होने पर चादर ओढ़कर लेट जाते हैं और सोचते हैं कि पसीना आने से बुखार कम हो जाएगा, लेकिन इस तरह चादर ओढ़कर लेटना सही नहीं है।
टैबलट देते वक्त ध्यान रखें
मरीज को हर 6 घंटे में पैरासेटामॉल की एक गोली दे सकते हैं। दूसरी कोई गोली डॉक्टर से पूछे बिना न दें। बुखार ठीक न हो तो मरीज को डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं। मरीज को पूरा आराम करने दें, खासकर तेज बुखार में। आराम भी बुखार में इलाज का काम करता है।
पेट की गड़बड़ी
गर्मियों में खाने में किटाणु जल्दी पनपते हैं। ऐसे में खाना जल्दी खराब हो जाता है। खराब खाना या उलटा-सीधा खाने से गर्मियों में कई बार डायरिया यानी उल्टी-दस्त की शिकायत भी होती है। लू लगने पर भी यह समस्या हो सकती है। डायरिया में अक्सर उल्टी और दस्त दोनों होते हैं, लेकिन ऐसा भी मुमकिन है कि उलटियां न हों, पर दस्त खूब हो रहे हों।
डायरिया आमतौर पर 3 तरह का होता है…
वायरल
यह वायरस के जरिए ज्यादातर छोटे बच्चों में होता है। पेट में मरोड़ के साथ दस्त और उलटी आती है। काफी कमजोरी भी महसूस होती है लेकिन यह ज्यादा खतरनाक नहीं होता।
इलाज: वायरल डायरिया में मरीज को ओआरएस का घोल या नमक और चीनी की शिकंजी लगातार देते रहें। उलटी रोकने के लिए डॉमपेरिडॉन और लूज मोशंस रोकने के लिए रेसेसाडोट्रिल ले सकते हैं। पेट में मरोड़ हैं तो मैफटल स्पास ले सकते हैं। 4 घंटे से पहले दोबारा दवा न लें। एक दिन में उलटी या दस्त न रुकें तो डॉक्टर के पास ले जाएं।
बैक्टीरियल
इसमें तेज बुखार के अलावा मल में पस या खून आता है।
इलाज: एंटी-बायॉटिक दवाएं दी जाती हैं। साथ में प्रोबायॉटिक्स भी देते हैं। दही प्रोबायॉटिक्स का बेहतरीन नेचरल सोर्स है। एंटी-बायोटिक डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
प्रोटोजोअल
इसमें भी बुखार के साथ पॉटी में पस या खून आता है।
इलाज: प्रोटोजोअल इन्फेक्शन में एंटी-अमेबिक दवा दी जाती है।