नयी दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि सरकार गरीब से गरीब लोगाें की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अवसंरचनाएं तैयार करेगी।श्री मोदी ने आपदा की दृष्टि से टिकाऊ अवसंरचना (सीडीआरआई) पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपने वीडियो संदेश में कहा कि सतत विकास लक्ष्यों का संकल्प यह है कि कोई भी व्यक्ति पीछे नहीं छूटे। इस सत्र को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन, घाना के राष्ट्रपति नाना अड्डो दांक्वा अकुफो अड्डो, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री निरिना राजोएलीना ने भी संबोधित किया।प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसंरचना लोगों के लिए होती है और उसका मकसद उन्हें उच्चस्तरीय, भरोसेमंद एवं टिकाऊ सेवाएं समान रूप से प्राप्त हों। उन्होंने कहा कि किसी भी ढांचागत विकास गाथा के केन्द्र में लोग होने चाहिए और भारत में यही कर रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता, विद्युत, परिवहन एवं अन्यान्य क्षेत्रों में बुनियादी सेवाओं के विस्तार एवं उन्नयन के लिए प्रयासरत है।उन्होंने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन की चुनौती का भी सीधे मुकाबला कर रहे हैं। इसीलिए ग्लास्गो में पक्षकारों के सम्मेलन कोप-26 में हमने अपने विकास के प्रयासों के साथ साथ वर्ष 2070 में ‘नेट ज़ीरो’ यानी काॅर्बन उत्सर्जन शून्य के स्तर पर लाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि मानवीय क्षमताओं के अधिकतम इस्तेमाल के लिए अवसंरचनाएं जरूरी है। अवसंरचनाओं को नुकसान होने का मतलब है कि पीढ़ियों को नुकसान। उन्होंने कहा,“आधुनिक प्रौद्योगिकी और ज्ञान हमारे पास है, क्या हम ऐसा टिकाऊ अवसंरचना बना सकते हैं जो दीर्घकाल तक चले ?”
उन्होंने कहा कि सीडीआरआई का गठन दरअसल इसी चुनौती का जवाब है। उन्होंने कहा कि सीडीआरआई का विस्तार हो रहा है और इसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने द्वीपीय देशों की टिकाऊ अवसंरचना की पहल तथा विश्व के 150 हवाईअड्डों पर सीडीआरआई के काम का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अवसंरचनाओं के आपदा में टिकाऊपन को लेकर एक वैश्विक अध्ययन से वैश्विक ज्ञान भंडार तैयार होगा।श्री मोदी ने कहा, “हमें अपने भविष्य को टिकाऊ बनाने के लिए टिकाऊ अवसंरचनाओं के लिए काम करना होगा। टिकाऊ अवसंरचना आने वाले समय की प्रमुख आवश्यकता होगी। यदि हम टिकाऊ अवसंरचनाएं बना पाये तो आपदाओं से ना सिर्फ हम बच पाएंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों को बचा पाएंगे।”