लाईव स्ट्रिमिंग के माध्यम से आयोजित हुई देशव्यापी ’‘फसल बीमा पाठशाला’’

बहराइच। देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत सरकार द्वारा मनाये जा रहे ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ अन्तर्गत विगत दिवस ‘‘किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी” के उद्देश्य से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रचार-प्रसार के लिए लाईव स्ट्रिमिंग के माध्यम देशव्यापी ’‘फसल बीमा पाठशाला’’ का आयोजन किया गया। उक्त आयोजन में लाईव स्ट्रिमिंग द्वारा देश के लाखों किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जनपद स्तर पर कलेक्ट्रेट सभागार में कॉमन सर्विस सेण्टर, फसल बीमा कम्पनी तथा कृषि विभाग के सहयोग से लाईव स्ट्रिमिंग कार्यक्रम का सजीव प्रसारण किया गया। लाईव स्ट्रिमिंग के माध्यम से आयोजित फसल बीमा पाठशाला में जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र के नेतृत्व में उप कृषि निदेशक टी.पी. शाही, जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार पाण्डेय, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी, सदर उदय शंकर सिंह, अपर सांख्यिकी अधिकारी नरेन्द्र गुप्ता, फसल बीमा कम्पनी के जिला प्रबन्धक मुकेश मिश्रा, कॉमन सर्विस सेण्टर के जिला प्रबन्धक विशाल सिंह सहित विभिन्न सी.एस.सी. के संचालक तथा बड़ी संख्या में कृषक मौजूद रहे। डॉ. दिनेश चन्द्र ने फसल बीमा योजना की उपयोगिता एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए मौजूद अधिकारियों, बीमा कम्पनी के प्रतिनिधियों तथा कृषकों से अपेक्षा की कि अधिक से अधिक किसानों फसल बीमा से जुड़ने हेतु प्रेरित किया जाय। उप कृषि निदेशक श्री शाही ने बताया कि जनपद में गत वर्ष खरीफ सीजन में 26534 कृषकों को 18 करोड़ 27 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति कृषकों में वितरित की गयी है। जिला कृषि अधिकारी श्री पाण्डेय ने कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड के विषय में जानकारी प्रदान की गयी। फसल बीमा कम्पनी के जिला प्रबन्धक मुकेश मिश्रा द्वारा आगामी खरीफ सीजन में कृषकों को अधिसूचित फसलों तथा बीमा कराये जाने के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। उल्लेखनीय है कि लाईव स्ट्रिमिंग के माध्यम आयोजित देशव्यापी ’‘फसल बीमा पाठशाला’’ को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्तमान वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। श्री तोमर ने आगामी 25 वर्षों को दृष्टिगत रखते हुए ऐसी कार्ययोजना तैयार करने पर बल दिया ताकि कृषकों को उनकी फसल के नुकसान की दशा में सुरक्षा हो सके तथा कृषक की पैदावार में भी इज़ाफा हो। श्री तोमर ने लोगों का आहवान किया कि प्राचीन भारत की भांति पशुओं को भी परिवार के सदस्य के रूप में सम्मिलित किया जाय। श्री तोमर ने कृषकों को फसल विविधिकरण पद्धति से खेती करने हेतु प्रेरित भी किया।